महाशिवरात्रि के व्रत का महत्व तब और भी बढ़ जाता है जब यह सोमवार के दिन होता है। इस वर्ष यह व्रत सोमवार को ही है। ऐस में ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा व्रत विधान, पूजा की विधि, पारण, पूजन सामग्री और व्रत उद्यापन की सही विधि बता रहे हैं।

व्रत विधान

इस दिन प्रातः काल स्नान—ध्यान से निव्रत होकर व्रत रखना चाहिए। पत्र, पुष्प तथा सुन्दर वस्त्रों से मण्डप तैयार करके सवतोभद्र की वेदी पर कलश की स्थापना के साथ-साथ गौरी शंकर की मूर्ति एवं नन्दी की मूर्ति रखनी चाहिए।

कलश को जल भरकर रोली, मौली, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चन्दन, दूध, दही, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बिल्बपत्र आदि का प्रसाद शिवजी को अर्पित करके पूजा करनी चाहिए।

बिल्बपत्र की महिमा अत्याधिक है। बिल्ब पत्र उल्टा करके चढ़ाना चाहिए। इसी दिन सायंकाल या रात्रिकाल में काले तिलों से स्नान करके रात्रि को जागरण करके शिवजी की स्तुति का पाठ कराना अथवा रूद्र अभिषेक करवाना चाहिए। इस जागरण में शिवजी की चार आरती का विधान ज़रूरी है, इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ मंगलकारी है।

पूजन सामग्री

शिव पूजन में प्रायः भयंकर वस्तुएं ही उपयोग होती हैं जैसे-धतूरा, भांग, मदार आदि इसके अतिरिक्त रोली, मौली, चावल, दूध, चन्दन, कपूर, बिल्बपत्र, केसर, दूध, दही, शहद, शर्करा, खस, भांग, शमी पत्र, आक-धतूरा एवं इनके पुष्प, फल, गंगाजल, जनेऊ, इत्र, कुमकुम, पुष्पमाला, रत्न—आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, लौंग, सुपारी, पान, दक्षिण, बैठने के लिए आसन आदि।

पूजन विधि

महाशिवरात्रि 2019: जानें व्रत विधान,पूजा विधि,पारण,पूजन सामग्री और उद्यापन

महाशिवरात्रि के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर उपयुक्त पूजन सामग्री एकत्र कर भगवान शिव के मन्दिर में अथवा घर में पूर्व अथवा उत्तर मुखी होकर आसन पर बैठें। समस्त सामग्री अपने पास रखकर साथ ही पात्र में जल भरकर पंचामृत भी तैयार कर लें। परिमल द्रव्य के लिए जल में कपूर, केसर, चन्दन, दूध और खस मिलाकर तैयार करें। पूजा के लिए प्रयुक्त होने वाले चावलों को केसर अथवा चन्दन से रंग लें। इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन करें।

व्रत पारण

शिवरात्रि के व्रत में यह विशेषता है कि व्रत का पारण चतुर्दशी में ही करना चाहिए। यह पूर्व विद्धा चतुर्दशी होने से ही हो सकता है।

उद्यापन विधि

महाशिवरात्रि 2019: जानें व्रत विधान,पूजा विधि,पारण,पूजन सामग्री और उद्यापन

रात्रि के समय द्वादश लिंगों एवं द्वादश कुंभों से युक्त मण्डल बनाना चाहिए, उस मण्डल को दीपमालाओं से सुशोभित कर उसके बीच वेद मंत्रों के साथ कलश स्थापना करना चाहिए। उसकी षोडशोपचार विधि से शिव जी की पूजा करें। पूजन के पश्चात् 108 बिल्बपत्र द्वारा अग्नि में हवन करें फिर तिल, अक्षत्, यव आदि वस्तुओं को लेकर दुगना हवन करें, हवन के अन्त में शतरूद्री का जाप करें। ऐसा करने से शिव जी अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। प्रातः काल 12 ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए। इस तरह उद्यापन करने से शिव जी एवं माता पार्वती जी अति प्रसन्न होकर शुभ फल देते हैं।

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