महत्तमाख्य शिव व्रत भाद्रपद शुक्ल प्रतिपदा को किया जाता है। जो इस वर्ष सोमवार दिनाांक 10 सितम्बर को है। इसके लिए जटामण्डित और त्रिशूल, कपाल तथा कुण्डलादि से संयुक्त चंद्र आदि से सुशोभित त्रिनेत्र शिव जी की स्वर्णणमयी मूर्ति बनवाकर भाद्रपद शुक्ल प्रतिपदा को उसे विधिपूर्वक स्थापित किए हुए कलश पर स्थापित करते हैं।
पूजा—विधि
फिर प्राप्त उपचारों से पूजन करें और नैवेद्य में 48 फल या मोदक अथवा मिष्ठान आदि अर्पण करके उनमें से 16 देवताओं को और 16 ब्राह्मणों को अर्पण करें। शेष 16 अपने लिए रखें।
" प्रसीद देवदेवेश चराचरजगद्गुरो।
वृषध्वज महादेव त्रिनेत्राय नमो नम:।।
गाय का दान करें
इस मंत्र से प्रार्थना करके दूध देने वाली गाय का दान करें और एक बार भोजन कर व्रत को समाप्त करें। इससे पाप नाश होता है तथा राज्य, धन, पुत्र, स्त्री, आरोग्य और आयु आदि की प्राप्ति होती है।
— ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र, शोध छात्र, ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
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