- 11 हजार सीसीटीवी लगने थे टॉवर के बदले

- 25 चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे, ज्यादातर खराब

- 75 प्रमुख चौराहों पर कैमरे लगाने का काम अधूरा

- 511 चौराहे राजधानी में

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LUCKNOW : राजधानी को सीसीटीवी कैमरे की जद में लाने का सपना अभी अधूरा है. महेंद्रा कंपनी का साथ टूटने के बाद जिओ ने हाथ थामा था, लेकिन हालात सुधरने की जगह और ज्यादा खराब हो गए. वर्तमान में 75 तो दूर 40 चौराहे भी सीसीटीवी कैमरे की जद में नहीं हैं. बामुश्किल 25 से 30 प्रमुख चौराहों पर ही कैमरे लगे हैं. वहीं ज्यादातर चौराहों पर कैमरे खराब हैं. इनके मेंटीनेंस का कांट्रेक्ट भी खत्म हो चुका है. यह कैमरे महेंद्रा कंपनी के हैं जबकि जिओ के कैमरे अभी लापता हैं.

यहां काम कर रहे सीसीटीवी कैमरे

हजरतगंज चौराहा, सिकंदरबाग चौराहा, गोल मार्केट महानगर, कपूरथला चौराहा, इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहा, पॉलीटेक्निक चौराहा, 1090 चौराहा, फाइव केडी और लालबत्ती चौराहा, बंदरिया बाग चौराहा, बाराबिरवां चौराहा, अवध चौराहा कानपुर रोड

खत्म हो गया कांट्रेक्ट, खराब पड़े कैमरे

शहर में ट्रैफिक पुलिस का कांट्रेक्ट महेंद्रा कंपनी के साथ था. महेंद्रा से मिलकर ट्रैफिक पुलिस ने दृष्टि योजना का शुभारंभ किया था और शहर के प्रमुख 75 चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए थे. जिन्हें ऑनलाइन निगरानी के साथ ट्रैफिक और क्राइम कंट्रोल के लिए यूज भी किया जा रहा है. चौराहों पर लगे ज्यादातर कैमरे खराब हो गए हैं. महेंद्रा कंपनी से कांट्रेक्ट खत्म होने के बाद अब न तो कैमरे की मरम्मत का काम आगे बढ़ सका और न ही उन्हें सही कराया जा सका.

11 हजार कैमरे लगाए जाने का था कांट्रेक्ट

महेंद्रा के बाद जियो कंपनी से कांट्रेक्टर हुआ. स्मार्ट सिटी के मद्देनजर जिओ कंपनी को टॉवर लगाने के बदले शहर में करीब 11 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे. इन कैमरों से ही पूरे शहर को न केवल सीसीटीवी की जद में लाया जाना था बल्कि मॉडर्न कंट्रोल रूम से इन कैमरे को जोड़कर ऑन निगरानी के साथ ट्रैफिक कंट्रोल और क्राइम कंट्रोल के लिए काम किया जाना था. वर्तमान में जिओ कंपनी ने करीब 25 से 30 चौराहों पर कैमरे लगाए भी है, लेकिन 75 फीसदी शहर अभी कैमरे की जद में नहीं है, जिससे हर चौराहों पर निगरानी संभव नहीं हो पा रही है.

मीटिंग में कसे थे पेंच, अभी इंतजार

हाल ही में एडीजी स्तर पर शहर में सीसीटीवी कैमरे लगवाये जाने के लिए कई विभागों के साथ मीटिंग भी की गई थी. मीटिंग में कंपनी को एक माह के भीतर चौराहों पर कैमरे लगवाने के लिए निर्देशित भी किया गया था. समय बीत गया, लेकिन न तो शहर में कैमरों की संख्या बढ़ सकी और न ही पायलट प्रोजेक्ट आगे बढ़ सका. ट्रैफिक पुलिस भी इन सीसीटीवी कैमरे के इंतजार में है.

कोट-

शहर में बड़े पैमाने पर सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने का काम होना था, जिससे ट्रैफिक कंट्रोल में सुविधा मिल सके, लेकिन अभी कई चौराहों पर कैमरे नहीं लग सके. काम चल रहा है.

पूर्णेन्द्रु सिंह, एसपी ट्रैफिक