- आरटीओ में एक बार फिर फर्जी कागजात लगा गाड़ी ट्रांसफर का खेल

- फाइनेंस कंपनी ने आरटीओ ऑफिस में दर्ज कराई आपत्ति

GORAKHPUR: आरटीओ ऑफिस की अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन होने के बावजूद भी दलाल अपने मंसूबों में कामयाब हो जा रहे हैं। दलालों की करतूतों से कई बार आरटीओ ऑफिस शर्मसार होता रहा है। इसी क्रम में एक बार फिर आरटीओ में फर्जी कागजात लगा गाड़ी ट्रांसफर करा लेने का मामला प्रकाश में आया है जिसकी जानकारी होने के बाद जिम्मेदारों के भी होश उड़े हुए हैं। पता चला है कि बिना बैंक की एनओसी के ही लोन पर लिए गए ट्रक को आरटीओ ऑफिस से दूसरे के नाम ट्रांसफर कर दिया गया। मिलीभगत के इस खेल की भनक गाड़ी मालिक तक को नहीं हो पाई। लोन रिकवरी के लिए फाइनेंस कंपनी के लोग घर पहुंचे तो गाड़ी मालिक को अपने साथ हुए धोखे का पता चला। 100 रुपए के स्टांप पर समझौता कर ट्रक बेचने वाले व्यक्ति ने आरटीओ पहुंच बताया कि ट्रक लेने वाले व्यक्ति ने लोन चुकाने का वादा किया था लेकिन किश्त नहीं भरी। उसने ट्रक वापस दिलाने की गुहार लगाई तो पता चला कि वाहन तो किसी और के नाम ट्रांसफर हो चुका है। हद तो ये कि इस गाड़ी पर अभी भी लगभग 13 लाख का लोन बाकी है जबकि ट्रांसफर के बाद इस गाड़ी पर एक और लोन लेने की बात सामने आ रही है। मामला सामने आते ही अधिकारियों के भी होश उड़ गए हैं। आरटीओ प्रशासन श्यामलाल का कहना है कि मामले की जानकारी बुधवार को ही हुई है। इसकी फाइल ढूंढकर सत्यता की जांच की जाएगी।

समझौता कर बेचा ट्रक, मिला धोखा

ट्रक पर अपना मालिकाना हक जताने वाले सुरसाद्वेरी निवासी दुर्विजय सिंह ने बताया कि उन्होंने चोला मंडल फाइनेंस कंपनी से सेकेंड हैंड ट्रक नंबर यूपी- 52-टी- 2944 फाइनेंस कराया था। जिसमें कंपनी ने लगभग 11 लाख का अमाउंट पास किया। कुछ दिन बाद किश्त जमा करने में प्रॉब्लम होने लगी तो उन्होंने एक ब्रोकर के जरिए शैलेष सिंह नामक व्यक्ति से बातचीत कर एक समझौता किया। जिसके तहत 100 रुपए के स्टांप पर दुर्विजय सिंह ने ट्रक शैलेष सिंह को सौंप दिया। इसके बदले में उन्हें 2.50 लाख रुपए मिले। स्टांप पर ये शर्त रखी गई थी कि शैलेष सिंह लोन की बाकी राशि जमा करेंगे। अगर वे समय से ऐसा नहीं करते हैं तो दुर्विजय सिंह अपना ट्रक वापस ले सकते हैं।

ट्रक लेकर नहीं चुकाया लोन

दुर्विजय सिंह का आरोप है कि ट्रक की किश्त नहीं जमा करने पर इधर लगातार फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी उनके घर जाने लगे। उन्होंने शैलेष से किश्त को लेकर बात करनी चाही तो उन्होंने अपना फोन ही बंद कर दिया। इसके बाद जब वे आरटीओ ऑफिस पहुंचे और अपने ट्रक का स्टेटस देखा तो उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। पता चला कि ट्रक 24 जनवरी 2018 को ही दूसरे के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया है। उन्होंने तत्काल इसकी जानकारी फाइनेंस कंपनी के जिम्मेदारों को दी।

कंपनी ने दर्ज कराई आपत्ति

मामले की जानकारी मिलते ही चोला मंडल फाइनेंस कंपनी के जिम्मेदारों ने तत्काल आरटीओ प्रशासन के पास शिकायत दर्ज कराई। इसमें उन्होंने उन कागजातों की भी डिमांड की है जिनके आधार पर ट्रक को ट्रांसफर किया गया है। बता दें, लोन की गाडि़यों को बिना एनओसी के ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।

बॉक्स

ट्रांसफर करा ले लिया दूसरा लोन

आरटीओ ऑफिस से गाड़ी को ट्रांसफर कराने के बाद भी कई खेल हुए है जो परत दर परत खुल रहे हैं। फाइनेंस कंपनी के एरिया मैनेजर ने जब गाड़ी के बारे में पता करना शुरू किया तो ये जानकारी मिली कि अब उस गाड़ी पर दूसरी जगह से भी लोन करा लिया गया है।

पहले भी आ चुके हैं मामले

- बांसगांव के ट्रांसपोर्टर का ट्रक बिहार के थाने में बंद था। आरटीओ में गड़बड़ी कर उनके ट्रक का मालिक बदल दिया गया।

- पीडब्ल्यूडी कर्मचारी के बेटे की कार को कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से ट्रांसफर करा लिया था। शिकायत होने पर मामले को किसी तरह सुलझाया गया था।

वर्जन

एक साल बाद इस बात की शिकायत लेकर कोई आया है। गाड़ी को लॉक कर दिया गया है। इसकी फाइल खोजवाकर सत्यता की जांच की जाएगी।

- श्याम लाल, आरटीओ प्रशासन