- राजधानी में स्वीकृत तीन फ्लाईओवर्स की शुरुआत में अंडरग्राउंड सीवर और वाटर लाइंस ने लगाया ब्रेक

- सेतु निगम ने संबंधित विभागों को लाइनें डायवर्ट कराने के लिये इस्टीमेट तैयार करने को कहा, मैप न मिलने की वजह से मामला अटका

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LUCKNOW :

राजधानी को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिये पुराने शहर में स्वीकृत किये गए तीन फ्लाईओवर्स की राह में बाधक बन रही अंडरग्राउंड सीवरेज लाइंस अब जलकल विभाग के लिये मुसीबत बन गई हैं। फ्लाईओवर्स निर्माण के लिये सेतु निगम ने जल-कल विभाग को इन लाइंस को दूसरी ओर शिफ्ट करने के लिये इस्टीमेट तैयार करने को कहा लेकिन सूत्रों के मुताबिक, अब यह इस्टीमेट तैयार करने में ही जल-कल विभाग के पसीने छूट रहे हैं। दरअसल, विभाग को पुराने शहर की जिन सड़कों पर फ्लाईओवर्स प्रस्तावित हैं, वहां की दशकों पुरानी सीवरेज लाइंस के मैप ही विभाग के पास मौजूद नहीं हैं। काम शुरू होने में देरी को देखते हुए अगले दो दिनों में डीएम कौशल राज शर्मा ने सभी संबंधित विभागों की मीटिंग बुलाई है। जिसमें इस पर कोई हल निकलने की संभावना है।

409 करोड़ रुपये में पूरे होने थे चारो प्रोजेक्ट

बीती पांच अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह व सीएम योगी आदित्यनाथ ने 409 करोड़ रुपये की लागत से राजधानी में बनने वाले चार फ्लाईओवर्स का शिलान्यास किया। इन चारो फ्लाईओवर्स के काम को शुरू करने की तिथि 15 अगस्त और पूरा करने की तिथि मई 2020 मुकर्रर कर दी गई थी। कार्यक्रम में मौजूद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने भी 10 दिन में काम शुरू कराने का वायदा किया था। पर, विभागों द्वारा तय समय में इस्टीमेट न देने की वजह से इसकी शुरुआत अब तक न हो सकी। यह सभी काम पूरा होने से राजेंद्र नगर, ऐशबाग, राजाजीपुरम, मोतीनगर, हुसैनगंज, चौक, हैदरगंज के साथ ही शहीद पथ से एयरपोर्ट जाने वाले लाखों लोगों को राहत मिलने वाली थी।

पुराना शहर बना मुसीबत

गुरु गोविंद सिंह मार्ग व तुलसीदास मार्ग पुरानी और घनी बस्ती में होने की वजह से वर्तमान में इन दोनों ही सड़कों के नीचे ढेरों अंडरग्राउंड सर्विसेज जैसे सीवर लाइन, रॉ वाटर लाइन और वाटर सप्लाई लाइन स्थित हैं। कई जगहों पर बिजली की अंडरग्राउंड केबल व ट्रांसफार्मर भी फ्लाईओवर्स की राह में रोड़ा बने थे। बिजली विभाग ने तो अपने इस्टीमेट सेतु निगम को सौंप दिये, जिस पर फंड भी रिलीज हो गया। पर, जल-कल विभाग और नगर निगम इस्टीमेट देना तो दूर उसे तैयार करने में भी अब तक नाकाम रहा है। वजह भी साफ है, इन दोनों ही सड़कों पर मौजूद सीवरेज लाइंस 60 से 80 साल तक पुरानी हैं। आजादी से पहले की लाइंस के मैप विभाग के पास मौजूद नहीं हैं। नतीजतन, सेतु निगम द्वारा बार-बार मांगने के बावजूद इस्टीमेट तैयार करना जल-कल विभाग के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। सेतु निगम के असिस्टेंट इंजीनियर मानस श्रीवास्तव ने बताया कि बुधवार को डीएम की अध्यक्षता में सभी संबंधित विभागों की मीटिंग है, जिसमें तमाम समस्याओं के निराकरण पर विचार किया जाएगा।

इन फ्लाईओवर्स की शुरुआत में बाधा

1. हुसैनगंज से डीएवी कॉलेज फ्लाईओवर्स

लेन: 3

लंबाई: 1,656 मीटर

लागत: 123.80 करोड़ रुपये

लाभान्वित आबादी: राजाजीपुरम, राजेंद्रनगर, हुसैनगंज, ऐशबाग, मोतीनगर, मालवीय नगर, हैदरगंज, तालकटोरा

2. हैदरगंज तिराहा से मीनाबेकरी पूर्व फ्लाईओवर्स

लेन: 2

लंबाई: 908.765 मीटर

लागत: 40.43 करोड़ रुपये

लाभान्वित आबादी: राजाजीपुरम, आलमनगर, बाजारखाला, नक्खास, हैदरगंज, ऐशबाग

3. चरक क्रॉसिंग से हैदरगंज चौराहा फ्लाईओवर्स

लेन: 2

लंबाई: 2,478.042 मीटर

लागत: 110.15 करोड़ रुपये

लाभान्वित आबादी: चौक, ठाकुरगंज, राजाजीपुरम, ऐशबाग, आलमबाग, कानपुर रोड

- 4 फ्लाईओवर्स शहर में बनने है

- 409 करोड़ की आएगी लागत

- 5 अगस्त को गृहमंत्री ने की थी घोषणा

- 15 अगस्त को शुरू होना था काम

- मई 2020 तक पूरा होना है काम