- सीबीआई ने एनआईसी के अफसर को बनाया था आरोपी

- राज्य सरकार ने अभियोजन स्वीकृति देने से किया इंकार

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW :

भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी केंद्र और राज्य सरकार की मुहिम में कुछ विभाग पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे। एक ऐसा ही मामला फिर सामने आया है जिसमें मनरेगा घोटाले में फंसे अफसर को बचाने की कोशिश की गयी है। हाईकोर्ट के निर्देश पर यूपी में हुए मनरेगा घोटाले की जांच कर रही सीबीआई को एनआईसी के एक आरोपी अफसर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने से मना कर दिया गया है। हैरत की बात यह है कि इससे पहले एक वरिष्ठ आईएएस को भी इसी तरह बचाने का प्रयास भी हो चुका है। फिलहाल ने अभियोजन स्वीकृति न मिलने से मनरेगा घोटाले की सीबीआई जांच को गहरा झटका लगा है।

जनरेटर खरीद का मामला

दरअसल सिद्धार्थनगर जिले में मनरेगा घोटाला अंजाम देने के मामले की जांच कर रही सीबीआई को जनरेटर की खरीद में भारी गड़बड़ी किए जाने के प्रमाण मिले थे। जांच आगे बढ़ी तो जनरेटर खरीद का टेंडर करने वाले एनआईसी के कुछ अफसरों की भूमिका सामने आयी। सीबीआई ने इस मामले में 25 गवाहों का बयान दर्ज करके और घोटाले से जुड़े 55 दस्तावेज जुटाकर उन्हें आरोपी भी बनाया। इनमें डीआरडीए के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुरेश चंद्र, सप्लाई करने वाली फर्म शुभम ट्रेडर्स के मालिक वेद प्रकाश श्रीवास्तव व एनआईसी के डिस्ट्रिक्ट इंफोर्मेशन ऑफिसर नसीम अहमद थे। जांच में पता चला कि इन सभी ने आपसी साजिश रच कर एल-1 के बजाय एल-टू की पोजीशन पर आने वाली फर्म को सप्लाई का आर्डर दे दिया। इसके बाद सीबीआई ने 26 सितंबर 2017 को नसीम अहमद के खिलाफ राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगी जिसे एक साल तक लटकाए रखा गया। हाल ही में एनआईसी ने सीबीआई को भेजे पत्र में अभियोजन स्वीकृति देने से इंकार कर दिया है।

आईएएस और आईपीएस भी बचे

ध्यान रहे कि इससे पहले अपर मुख्य सचिव के पद पर तैनात रहे सदाकांत के खिलाफ भी राज्य सरकार ने सीबीआई को अभियोजन स्वीकृति देने से इंकार कर दिया था। उल्लेखनीय है कि सदाकांत अब रिटायर हो चुके हैं। वहीं सपा सरकार में फर्जी एनकाउंटर के मामले के आरोपी आईपीएस जे। रवींद्र गौड़ के मामले में भी यही रुख अपनाया था हालांकि इसमें देरी होने की वजह से यह मामला हाईकोर्ट के विचारार्थ भेज दिया गया था। सूत्रों की मानें तो नसीम अहमद के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने का मामला सेंट्रल विजिलेंस कमीशन को भी भेजा गया था।

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इनके खिलाफ अनुमति मिलना बाकी

यूपी के अलग-अलग मामलों की जांच में अभी भी सीबीआई को कई आरोपित अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिलने का इंतजार है। इनमें पंजाब नेशनल बैंक में हुए घोटाले के आरोपी मैनेजर गोविंद सिंह सज्जन, खाद्यान्न घोटाले में सीतापुर में तैनात सहायक अधिकारी पंकज सिंह, हरदोई के एसडीएम रहे पप्पू गुप्ता, जीएम सुनील कुमार, कार्यालय अधीक्षक विष्णु देव मिश्र, जूनियर क्लर्क रवि कश्यप शामिल हैं।