-पूरब में सेट नहीं हो पा रहे पश्चिम के दरोगा

-बोलचाल की मुसीबत, थानों पर आ रही समस्या

GORAKHPUR:

केस एक

लोकल बोली से हो रहे परेशान

चिलुआताल थाना में एक दरोगा की पोस्टिंग है। वह ज्यादातर समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में रहे हैं। पब्लिक की समस्या सामने आने पर वह परेशान हो जाते हैं। सीधी और सपाट बात न करने वाले पुलिस कर्मचारियों और पब्लिक से उनकी बन नहीं पा रही। लोकल बोली की तमाम चीजों को समझने में दिक्कत आ रही है।

केस दो:

साहब मुझे लाइन में तैनात कर दो

खजनी में तैनात एक दरोगा ने सिर्फ पश्चिमी जिलों में नौकरी की है। मंगलवार को वह पुलिस ऑफिस में एसएसपी से मिलने पहुंचे। एप्लीकेशन देकर एसएसपी से कहा कि साहब मुझे लाइन में कर दो। उनकी बात सुनकर एसएसपी भी भौंचक रह गए। बोले कि आखिर ऐसी क्या दिक्कत आ गई। दरोगा ने कहा कि वह लोगों की बोली नहीं समझ पा रहे हैं। इससे फील्ड में प्रॉब्लम होती है।

प्रदेश में सरकार बदलने के बाद बड़े पैमाने पर पुलिस कर्मचारियों के तबादले सांसत बन गए हैं। पश्चिमी जिलों में नौकरी कर चुके पुलिस कर्मचारी पूरब में तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं। थानों- चौकियों पर तैनात पुलिस कर्मचारी बोली-भाषा के फेर में परेशान हैं। पब्लिक से बातचीत में आने वाली समस्या को आधार बनाकर पुलिस कर्मचारी एसएसपी से तबादले की मांग कर रहे हैं। एसएसपी का कहना है कि बोली-भाषा की प्रॉब्लम सामने आती है। लेकिन कुछ दिन में लोग एडजस्ट कर लेते हैं। धीरे-धीरे सारी चीजें सामान्य हाे जाएंगी।

नियमों के दायरे में बंधा था बाेरिया-बिस्तर

प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद बड़े पैमाने पर पुलिस कर्मचारियों के तबादले किए गए। साथ ही दरोगा, सिपाही और इंस्पेक्टर के बड़े पैमाने पर प्रोमोशन भी हुए। इस तमाम पुलिस कर्मचारी जोन, रेंज और बार्डर के नियमों की परिधि में आ गए। इससे हजारों लोगों को ताश के पत्तों की तरह से फेट दिया गया। इस तबादले में पश्चिमी जिलों में तैनात रहे 50 से अधिक दरोगा और सिपाही गोरखपुर जिले में पहुंचे हैं। जबकि, जोन भर में ढाई सौ से अधिक तादाद होगी।

थानों पर तुम-तड़ाम, पिब्लक हैरान

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है जिले में 50 से अधिक दरोगा-इंस्पेक्टर जिले में तैनात हैं। हाल ही इनकी पोस्टिंग विभिन्न थानों पर गई है। थानों पर कार्यभार संभालने के बाद पश्चिम वाले पुलिस कर्मचारी मुसीबत में पड़ गए हैं। मामलों की शिकायत होने पर जब वह जांच में पहुंच रहे तो भाषा-बोली की समस्या खड़ी हो जा रही है। आलम यह है कि थानों पर आने वाली पब्लिक से पश्चिम के दरोगा और सिपाही अपने तरीके से बात कर रहे हैं। पश्चिम की ठेठ बोली में दरोगा कुछ बोल रहे तो यहां के लोग अपमान समझ ले रहे हैं। आप और तुम के अंतर को लेकर झिकझिक हो रही है।

समझ नहीं पा रहे बात, रोज हो रही तकरार

थानों पर फरियाद लेकर पहुंचने वाली पब्लिक की बातें पश्चिम के दरोगा ठीक से नहीं समझ पा रहे हैं। सीधी और सरल बातें तो उनके पल्ले पड़ जाती हैं। लेकिन गोरखपुर की ठेठ बोली से दरोगा परेशान हो रहे हैं। यहां के लोग उनकी बातों को सुनकर कभी-कभी खुद को जहां अपमानित महसूस कर रहे। वहीं दरोगा भी अपना कामकाज ठीक से नहीं कर पा रहे है। इससे थानों पर पुलिस कर्मचारियों के बीच भी तकरार हो रही है।

हटा दो साहब, लाइन में रह लेंगे

पब्लिक के साथ-साथ पुलिस विभाग के लोग भी अपनी समस्याओं को लेकर एसएसपी से मिल रहे हैं। इस दौरान पुलिस कर्मचारियों की छुट्टी, वेतन, आवास भत्ता, बीमारी सहित अन्य समस्याओं पर चर्चा कर उनका निस्तारण किया जा रहा है। लोकल बोली और भाषा को लेकर परेशान पुलिस कर्मचारी भी अपनी समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं। थानों की ड्यूटी पर आने वाली समस्या को देखते हुए वह पुलिस लाइन में तैनाती की डिमांड कर रहे हैं। एक ओर लोग जहां थानों और चौकियों पर पोस्टिंग के लिए जुगाड़ में लगते हैं। वहीं पश्चिम से आए पुलिस कर्मचारी सिर्फ पुलिस लाइन में ड्यूटी मांग कर रहे हैं।

वर्जन

थानों और चौकियों पर फोर्स की कमी को दूर किया जा रहा है। इसलिए दरोगाओं और सिपाहियों की तैनाती की जा रही है। कुछ पुलिस कर्मचारियों की समस्याएं सामने आई हैं। धीरे-धीरे सभी लोग एडजस्ट कर लेंगे। बोलचाल में काफी अंतर होने से वे असहज महसूस कर रहे हैं। अन्य पुलिस कर्मचारी ऐसे दरोगाओं-सिपाहियों को यहां की बोली-भाषा सिखा रहे हैं।

शलभ माथुर, एसएसपी