-शासन को भेजने के लिए प्रशासन तैयार कर रहा रिपोर्ट

मेरठ: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मदरसों में राष्ट्रगान के फरमान को तुगलकी बताते हुए एक ओर जहां मुस्लिम धर्मगुरुओं से लेकर मदरसा संचालकों ने इसका विरोध किया तो वहीं जिला फरमान जिला प्रशासन के लिए गले की फांस बन गया। है। एक ओर शासन ने रिपोर्ट तलब की है तो मेरठ में महज 20 मदरसों ने अभी तक वीडियोग्राफी की सीडी और क्लिपिंग मुहैया कराई है।

नहीं हुई वीडियोग्राफी

सरकारी-गैरसरकारी मदरसों में स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रात: 8 बजे राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ-साथ राष्ट्रगान के निर्देश यूपी की योगी सरकार ने दिए। इतना ही नहीं इस पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी के निर्देश भी जिला मुख्यालयों पर उप्र मदरसा बोर्ड के द्वारा दिए गए। शुरू से ही विवादों में रहे फरमान को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 'हमें (मदरसों को) देशभक्ति दिखाने के लिए किसी के फरमान की आवश्यकता नहीं.' फतवे का असर दिखाई दिया और मेरठ के ज्यादातर मदरसों में स्वतंत्रता दिवस तो मनाया गया किंतु वीडियोग्राफी नहीं कराई गई। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मोहम्मद तारीक के अभी तक मेरठ के महज 30 मदरसों की वीडियो क्लिप और सीडी पहुंच सकी है। जबकि 3 सहायता प्राप्त मदरसों के अलावा मेरठ में करीब 300 मदरसों का संचालन हो रहा है।

जरा इनकी भी सुनें

हापुड रोड स्थित पीएसी सेंटर के सामने मदरसा जामिया मदनिया के प्रधानाचार्य मौलाना कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने स्वतंत्रता दिवस पर न सिर्फ ध्वजारोहण किया बल्कि राष्ट्रगान भी मदरसे के बच्चों के साथ गाया। हालांकि सरकार के फरमान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि हमें जश्न-ए-आजादी मनाने के लिए किसी राजनैतिक फरमान की आवश्यकता नहीं है। कारी अफ्फान कासमी ने मुस्लिम युवाओं के साथ शहरभर में स्वतंत्रता दिवस पर रैली निकाली।

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मेरठ के करीब 20 मदरसों से सीडी और वीडियो क्लिपिंग मिल गई है। ये सिलसिला लगातार जारी है। फिलहाल किसी भी मदरसे की ओर से ऐसा नहीं कहा गया कि वे वीडियोग्राफी नहीं कराएंगे।

मो। तारीक, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी