इस दिन का लंबा इंतजार किया

फिर भी शादी के बाद मैंने फिर से अपनी पढ़ाई शुरू की और इसी का नतीजा है कि शादी के 14 साल बाद बीपीएससी पास किया और वो भी नौंवी रैंक से। मेरी खुशी का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि मैंने इस दिन का कितना लंबा इंतजार किया था। बीपीएससी में नौंवी रैंक लाने वाले अखिलेश कुमार ने आई नेक्स्ट से अपनी फीलिंग्स शेयर की। 14 सालों से हर दिन छह घंटे कोचिंग में पढ़ाना और फिर घर जाकर पढऩे वाले अखिलेश ने बताया कि अगर एक गोल हो, तो आपको वहां तक पहुंचने में कोई परेशानी नहीं आती है, क्योंकि आपके सपने को पूरा करने में हर कोई जुट जाता है और मेरे साथ भी यही हुआ।

पत्नी-भाई और दोस्तों का साथ मिला

अगर आप अच्छे इंस्टीच्यूट से पढ़ाई करते हैं, तो आपके फ्रेंड भी अच्छे होते हैं। नवोदय पास करने के बाद जब मेरी लाइफ इधर-उधर जाने लगी, तो उस वक्त से लेकर अब तक मुझे मेरे फ्रेंड से काफी मोरल व इकोनॉमिक सपोर्ट मिलता रहा। वहीं, वाइफ नीलू, भाई डॉ। मनीष बच्चे साक्षी और सोहम के सपोर्ट ने मुझे इस मुकाम पर पहुंचा दिया। अब भी पीछे मुड़कर देखता हूं, तो खुद दंग रह जाता हूं। जब इंटर के बाद वेटेनरी कॉलेज पढऩे गया या फिर पढ़ाई छोड़कर लौट आया। इसके बाद भोपाल में फ्रेंड के साथ थियेटर से जुड़ गया। वे मंच पर होते थे और मैं मंच के पीछे, क्योंकि मेरे पास मंच पर आने की क्वालिटी नहीं थी। खैर, मेरी लाइफ का बेस्ट पीरियड नवोदय स्कूल और वहां के दोस्त से मिलना रहा है।

दो बार यूपीएससी मेंस निकाला था

अखिलेश ने बताया कि इससे पहले मैं दो बार यूपीएससी का मेंस भी निकाल चुका है। बीपीएससी की 48वीं का मेंस निकाला था, पर 52वीं में क्वालिफाई नहंीं कर पाया। लास्ट 53 से 55 एग्जाम में मैंने अचीव कर ही लिया। इस दौरान मैंने दस हजार से अधिक स्टूडेंट्स को मेडिकल की तैयारी करवाई, इसमें से लगभग तीन हजार स्टूडेंट्स आज किसी न किसी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं। इस दौरान मेरी भी पढ़ाई में इंप्रूवमेंट होता गया, क्योंकि बीपीएससी में मेरा सब्जेक्ट जूलॉजी और बॉटनी था। मेरा इंटरव्यू दो जुलाई को शाहनबाज खान की बोर्ड में लिया गया था।

स्टूडेंट्स को पढ़ाने का अपना ही मजा

अखिलेश ने बताया कि वे 14 सालों से लगातार स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे हैं। पढ़ाने का सिलसिला छोडऩे वाले नहीं हैं, क्योंकि इसमें जो खुशी है वो कहीं और नहीं। बीपीएससी मेरा सपना था और यह तभी पॉसिबल हुआ, जब मैंने स्टूडेंट को पढ़ाना शुरू किया।

मेथड चेंज करने में है विश्वास  

बच्चों की पढ़ाई को लेकर अखिलेश ने बताया कि अगर कोई एक मेथड नहीं समझता है, तो मैं वह चेंज करके दूसरा रूप में बताता हूं। मुझे विश्वास रहता है कि आप मेथड चेंज करके किसी को भी समझा सकते हैं। इस कांसेप्ट का यूज मैं अपनी नई जॉब के लिए भी करूंगा।

Profile

नाम - अखिलेश कुमार

पिता - मीतलाल यादव, रिटायर्ड टीचर

मां - फुलो देवी

घर - फारबिसगंज, अररिया

पढ़ाई - मैट्रिक - नवोदय विद्यालय पूर्णिया - 78 परसेंट

ग्रेजुएशन - इग्नू से लाइफ सांइस - 75 परसेंट

पोस्ट ग्रेजुएशन - कॉलेज ऑफ कॉमर्स से जूलोजी - 73 परसेंट

पीएचडी - कॉलेज ऑफ कॉमर्स से जूलॉजी

सीएसआईआर जेआरएफ (यूजीसी नेट) गेट

हॉबीज : बॉलीवॉल, फुटबॉल, टेबल टेनिस और पेटिंग का शौक