- केजीएमयू के साइकियाट्री डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी ने एक कार्यक्रम में दी जानकारी

LUCKNOW:

समाज में मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं। जिसका असर लोगों की मानसिकता पर भी पड़ रहा है। इसी के चलते हिंसक घटनाओं में इजाफा हो रहा है। अनुशासित जीवनशैली और नियमित एक्सरसाइज आदि से इससे बचा जा सकता है। मेंटल हेल्थ फाउंडेशन की ओर से सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में केजीएमयू के साइकियाट्री विभाग के तीन पूर्व विभागाध्यक्षों ने यह जानकारी दी।

काउंसिलिंग भी है जरूरी

डॉ। हरजीत सिंह ने बताया कि शारीरिक बीमारियों के इलाज के साथ मानसिक समस्याओं की सलाह भी जरूरी है। हार्ट, बीपी, डायबिटीज आदि के अधिकतर मरीजों को मानसिक समस्या भी होती है। एक रिसर्च के अनुसार इन बीमारियों के शिकार करीब 60 प्रतिशत लोग मानसिक समस्याओं से ग्रसित हैं। इसलिए संबंधित बीमारियों के डॉक्टर के साथ ही साइकोलॉजिस्ट या साइकियाट्रिस्ट डॉक्टर्स से भी इलाज कराना चाहिए।

बच्चों को स्क्रीन से रखें दूर

डॉ। प्रभात सिठोले ने बताया कि एकल परिवार होने से बच्चों में समस्याएं बढ़ी हैं। मोबाइल, टीवी जैसे गैजेट्स का अधिक प्रयोग हानिकारक है। इससे बच्चों में समस्याएं हो रही हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को इनसे दूर रखा जाए या उनका सीमित प्रयोग हो। मैदान में खेलने के लिए बच्चो को प्रेरित करें।

13.67 फीसद मानसिक रोगी

डॉक्टर्स के अनुसार 2017 के आंकड़ों के मुताबिक करीब 13.67 फीसद व्यस्क किसी न किसी मानसिक समस्या से ग्रसित हैं। इनमें से 22.44 फीसद को नशे के कारण, 5.25 फीसद को और किसी दबाव या अन्य कारण से 3.70 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। आने वाले समय में मानसिक रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी का अनुमान है।

संसाधन बढ़ाने की आवश्यक्ता

डॉ। एससी तिवारी ने बताया कि वृद्धों में मानसिक बीमारियां 20.5 फीसद तक हैं। मानसिक रोगों से ग्रसित वृद्धों की संख्या लगभग 2.11 करोड़ है। औसत आयु बढ़ने के साथ वृद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन इनके लिए मानव संसाधन की संख्या लगभग नगण्य है। वृद्धों में अन्य रोगों के कारण उनमें मानसिक रोगों का इलाज विशेष रूप से कठिन होता है।

अपराधियों को भी मिले इलाज

डॉ। एससी तिवारी ने बताया कि मानसिक रोगों चिन्हित करना, विशेष रूप से उत्तराधिकार व न्यायालयी प्रकरणों में सही सही विचार करने के लिए समाज में बढ़ते हुए हिंसा, अपराध के लिए मनोचिकित्सा की नई विधा फॉरेंसिक साइकियाट्री की आवश्यक्ता है। अपराधियों के इतिहास, उनकी मनोदशाओं के विषय में जानना व जोखिमों को पहचानना व उनके उपचार करने की विधा देश के ज्यादातर चिकित्सा विश्वविद्यालयों में नहीं है। सामान्य मनोचिकित्सक ही उनका इलाज कर रहे हैं। न्यायिक मनोचिकित्सा (फारेंसिक साइकियाट्री) आज की न्याय प्रणाली का आवश्यक अंग बनता जा रहा है। अपराधों के निर्धारण व वैज्ञानिक न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग के लिए भी आवश्यक है। कार्यक्रम में प्रो। जेरेड डी कास व लिन कास ने लोगों को स्वयं को जाने विषय पर संबोधित किया।