एक साल पहले विभाग ने शुरू की थी रिकवरी, जांच में हुआ खुलासा

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MEERUT : मिड डे मील के लिए आवंटित धनराशि में घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। चार साल पहले इसके लिए जारी हुए लाखों रुपये स्कूलों तक पहुंचने से पहले ही गायब हो गए। हिसाब-किताब न मिलने से विभाग के होश उड़ गए हैं। लापरवाही का आलम यह है कि विभाग के पास इसका रिकॉर्ड तक नहीं है। मामला खुलने के बाद विभाग और स्कूल संचालकों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर दिए हैं। मंडलीय स्तर से मामले की जांच करवाई जा रही है।

5 स्कूलों का पैसा गायब

एमडीएम विभाग की ओर से चल रही रिकवरी के दौरान करीब 5 स्कूलों के लगभग एक लाख रुपये गायब होने की बात सामने आई है। स्कूलों का कहना है कि आवंटित धनराशि उनके पास कभी पहुंची ही नहीं। जिस खाते में धनराशि डाली गई उसका नंबर गलत था। ऐसे में विभाग रिकॉर्ड खंगालने में लगा हैं लेकिन कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। वहीं स्कूलों के पास भी इसका कोई रिकॉर्ड मेंटेन नहीं किया गया है।

यह है मामला

शासन की ओर से वर्ष 2013-14 में ऐडिड और सरकारी स्कूलों में एमडीएम योजना के तहत स्कूलों को कंवर्जन कॉस्ट जारी की थी। जिसके तहत करीब 16 लाख रुपये एमडीएम विभाग ने सौ से ज्यादा स्कूलों में बैंक खाते में डलवाई थी। उसी सत्र से स्कूलों में मिड डे मील एनजीओ की ओर से बंटना शुरू हो गया था, ऐसे में यह लागत स्कूलों में यूज नहीं हो पाई थी। पिछले साल शासन ने एमडीएम विभाग को इस पैसे को रिकवर करने के निर्देश जारी किए थे। जिसकी जांच में इस मामले का खुलासा हुआ है।

 

'चार साल पहले बजट जारी किया गया था। उस वक्त दूसरे अधिकारी तैनात थे। धनराशि कहां गई, इसकी जांच हम करवा रहे हैं। फिलहाल ऐसे 5 स्कूल सामने आए हैं। अन्य स्कूलों के भी रिकॉर्ड चेक किए जा रहे हैं। स्कूलों की बैंक डिटेल्स चेक की जाएंगी.'

- वीरेंद्र कुमार, डिविजनल कोर्डिनेटर, मिड डे मील