20 फीसदी घरों में नहीं पहुंचा दूध
अमित को रोज सुबह बेड टी लेने की आदत है, लेकिन आज बेड टी न मिलने से उसका मूड ऑफ हो गया। पता चला कि आज दूध नहीं आया। ऐसा अमित के साथ ही नहीं शहर के कई परिवारों को इससे दो चार होना पड़ा। दूध के लिए कई लोगों को सुबह दुकानों के धक्के खाने पड़े। बच्चों को पीने के लिए भी दूध बमुश्किल से मिला। अगर दूध कहीं मिला भी तो दुकानदारों और डेयरी चालकों ने मनमर्जी के दाम मांगे। अधिकतर लोगों की जुबान पर यही बात थी कि आखिर मेरे हिस्से का दूध गया कहां?
नहीं पहुंचा दूध
ईद और तीज के दिन भी सिटी के 20 फीसदी घरों में दूध नहीं गया। सुबह से दोपहर तक लोगों ने अपने दूध वाले का इंतजार किया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ब्रह्मïपुरी निवासी दिनेश की माने तो उनके घर रोज सुबह 6:30 बजे दूध आता है। लेकिन जब 10 बजे गए तो मैंने दूध वाले को फोन मिलाया, लेकिन फोन स्विच ऑफ मिला। उसके बाद उन्हें बाहर दुकान से दूध अरेंज करना पड़ा।
50 फीसदी किल्लत
त्योहार पर दूध की मांग बढ़ जाती है तो सप्लाई अपेक्षाकृत कम हो जाती है। इस हिसाब से शुक्रवार को करीब 50 फीसदी दूध की शॉर्टेज रही, जिन घरों में डेली दूध जाता है उन घरों में भी बमुश्किल से ही दूध गया। एक तो पशुपालक डेयरी से रोजाना के मुकाबले कम दूध मिला। वहीं ईद और तीज पर दूध की ज्यादा डिमांड होने से काफी किल्लत झेलनी पड़ी। एक दिन पहले का स्टॉक में बचा हुआ दूध भी कमी को पूरी नहीं कर सका।
72 रुपए किलो दूध
पब्लिक की परेशानी यहीं कम नहीं हुई। शुक्रवार को दूध डेयरियों और दुकानदारों ने जमकर इसका फायदा उठाया। जिन डेयरियों और दुकानदारों के पास दूध बचा उन्होंने बढ़े हुए दामों में दूध बेचा। मौजूदा समय में जो दूध 42 रुपए किलो था वो 72 रुपए में बिका। सदर निवासी सुनील कुमार की माने तो अचानक से दोपहर को दूध खत्म हो गया। त्योहार की वजह से मेहमानों का आना-जाना लगा था। मुझे मार्केट में 72 रुपए किलो दूध खरीदना पड़ा।
आखिर क्यों पड़ी किल्लत?
ईद और तीज की वजह से सिटी के कई परिवारों ने पहले से ही अपने घरों में दूध का स्टॉक जमा कर लिया था। वहीं सिटी में बाहर से सप्लाई होने वाला दूध काफी कम आया। शारदा रोड पर डेयरी चालक प्रिंस ने बताया कि अधिकांश पशुपालक डेयरी चालकों ने दूध की सप्लाई काफी कम की। उन्होंने त्योहार की वजह से दूध को अपने पास स्टॉक में रख लिया। ताकि अपने आस के इलाकों में उसे बेचा जा सके।
त्योहारों पर ही क्यों पड़ती किल्लत?
ईद हो या तीज या फिर जन्माष्टमी इन्हीं त्योहारों पर दूध की किल्लत काफी ज्यादा रहती आखिर क्यों? इस सवाल पर न्यू श्याम डेयरी के मालिक नैन सिंह बताते है कि इन दिनों में दूध डेयरी वाले दूध देने से ही मना कर देते हैं। उनका कहना है कि हम साल भर दूध देते हैं। ऐसे त्योहारों पर हम दूध अपने पास ही रखेंगे। इसके अलावा सामान्य से भी कम दूध आने पर भी त्योहारों पर दूध डिमांड 50 फीसदी बढ़ जाती है, जो किल्लत का कारण बनती है।
'मेरा तो ये मानना है कि शुक्रवार को 10 परिवारों में 8 परिवारों को दूध नहीं मिला। दूध की काफी शॉर्टेज रही। तीज और ईद एक साथ पड़ जाने से ऐसी परिस्थिति पैदा हुई है.'
- नैन सिंह, न्यू श्याम डेयरी, सदर
'आज तो पीछे से भी दूध काफी कम आया। जो भी दूध था वो सारा बिक गया। सभी लोगों को खाली हाथ लौटाना पड़ रहा है। दिन में दो त्योहार होने से लोगों को काफी दिक्कत हुई है.'
- प्रिंस गोयल, राकेश डेयरी, शारदा रोड
पैक्ड दूध से मिली थोड़ी राहत
जहां एक ओर डेयरी दूध की किल्लत झेलनी पड़ी वहीं पैक्ड दूध ने लोगों को थोड़ी राहत जरूर पहुंचाई लेकिन दोपहर आते-आते मार्केट से दूध पूरी तरह से खत्म हो गया। शास्त्री नगर निवासी कमल बंसल की माने तो जब दूध वाला घर नहीं आया तो पैक्ड दूध से ही काम चलाना पड़ा। लेकिन पैक्ड भी जरुरत के हिसाब से नहीं मिला। दो लीटर में से सिर्फ एक ही लीटर मिल पाया।
'आज घर में दूध न आने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। घर में छोटे बच्चे हैं उन्हें तो दूध जरूर चाहिए। फिर चाहे वो अधिक रुपए में ही क्यों न खरीदना पड़े.'
- मनोज अरोड़ा, रजबन
'सुबह पहले का थोड़ा दूध था तो उसकी मॉर्निंग में चाय बन गई। जब दूध वाला नहीं आया तो दिक्कत काफी बढ़ गई। तीज की वजह से मेहमान भी आए थे तो मशक्कतों के बाद दूध का इंतजाम करना पड़ा.'
- रुपाली खुराना, छिपी टैंक
'तीज और ईद के मौके पर दूध की काफी किल्लत हुई मुझे थोड़ा एक्स्ट्रा दूध की जरुरत थी। काफी मार्केट में घूमा तो कहीं मिला नहीं। कहीं मिला तो रेट इतने हाई थे कि माथा चकरा गया। अंत मे मुझे एक्स्ट्रा पे करके दूध खरीदना पड़ा.'
- रामकुमार शर्मा, साकेत
'आज तो दूध न आने की वजह से हमें काफी दिक्कत झेलनी पड़ी। हमारे घर में सभी लोग दूध ही पीते हैं तो खपत भी ज्यादा है। सुबह से दूध वाले का इंतजार करते रहे, लेकिन नहीं आया। उसके बाद मार्केट में भी काफी ढ़ूंढने के बाद दूध मिला.'
- मौसमी चौधरी, सदर
Fact & Figure
- सिटी के विभिन्न मोहल्लों में छोटे-बड़े दूध विक्रेता हैैं 2500.
- शहर व आसपास के इलाकों में पशुपालक डेयरियों की संख्या 1500 हैं।
- आम दिनों में डेयरी दूध की खपत डेली 5 लाख लीटर है।
- इसी तरह एक दिन में पैक्ड दूध की खपत 2.5 लाख लीटर है।
- आम तौर पर एक दिन में कुल दूध की मांग 7.25 लाख लीटर।
- त्योहारों पर होती है 10 लाख लीटर दूध की मांग।
मेरठ: अमित को रोज सुबह बेड टी लेने की आदत है, लेकिन आज बेड टी न मिलने से उसका मूड ऑफ हो गया। पता चला कि आज दूध नहीं आया। ऐसा अमित के साथ ही नहीं शहर के कई परिवारों को इससे दो चार होना पड़ा। दूध के लिए कई लोगों को सुबह दुकानों के धक्के खाने पड़े। बच्चों को पीने के लिए भी दूध बमुश्किल से मिला। अगर दूध कहीं मिला भी तो दुकानदारों और डेयरी चालकों ने मनमर्जी के दाम मांगे। अधिकतर लोगों की जुबान पर यही बात थी कि आखिर मेरे हिस्से का दूध गया कहां?
नहीं पहुंचा दूध
ईद और तीज के दिन भी सिटी के 20 फीसदी घरों में दूध नहीं गया। सुबह से दोपहर तक लोगों ने अपने दूध वाले का इंतजार किया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ब्रह्मïपुरी निवासी दिनेश की माने तो उनके घर रोज सुबह 6:30 बजे दूध आता है। लेकिन जब 10 बजे गए तो मैंने दूध वाले को फोन मिलाया, लेकिन फोन स्विच ऑफ मिला। उसके बाद उन्हें बाहर दुकान से दूध अरेंज करना पड़ा।
50 फीसदी किल्लत
त्योहार पर दूध की मांग बढ़ जाती है तो सप्लाई अपेक्षाकृत कम हो जाती है। इस हिसाब से शुक्रवार को करीब 50 फीसदी दूध की शॉर्टेज रही, जिन घरों में डेली दूध जाता है उन घरों में भी बमुश्किल से ही दूध गया। एक तो पशुपालक डेयरी से रोजाना के मुकाबले कम दूध मिला। वहीं ईद और तीज पर दूध की ज्यादा डिमांड होने से काफी किल्लत झेलनी पड़ी। एक दिन पहले का स्टॉक में बचा हुआ दूध भी कमी को पूरी नहीं कर सका।
72 रुपए किलो दूध
पब्लिक की परेशानी यहीं कम नहीं हुई। शुक्रवार को दूध डेयरियों और दुकानदारों ने जमकर इसका फायदा उठाया। जिन डेयरियों और दुकानदारों के पास दूध बचा उन्होंने बढ़े हुए दामों में दूध बेचा। मौजूदा समय में जो दूध 42 रुपए किलो था वो 72 रुपए में बिका। सदर निवासी सुनील कुमार की माने तो अचानक से दोपहर को दूध खत्म हो गया। त्योहार की वजह से मेहमानों का आना-जाना लगा था। मुझे मार्केट में 72 रुपए किलो दूध खरीदना पड़ा।
आखिर क्यों पड़ी किल्लत?
ईद और तीज की वजह से सिटी के कई परिवारों ने पहले से ही अपने घरों में दूध का स्टॉक जमा कर लिया था। वहीं सिटी में बाहर से सप्लाई होने वाला दूध काफी कम आया। शारदा रोड पर डेयरी चालक प्रिंस ने बताया कि अधिकांश पशुपालक डेयरी चालकों ने दूध की सप्लाई काफी कम की। उन्होंने त्योहार की वजह से दूध को अपने पास स्टॉक में रख लिया। ताकि अपने आस के इलाकों में उसे बेचा जा सके।
त्योहारों पर ही क्यों पड़ती किल्लत?
ईद हो या तीज या फिर जन्माष्टमी इन्हीं त्योहारों पर दूध की किल्लत काफी ज्यादा रहती आखिर क्यों? इस सवाल पर न्यू श्याम डेयरी के मालिक नैन सिंह बताते है कि इन दिनों में दूध डेयरी वाले दूध देने से ही मना कर देते हैं। उनका कहना है कि हम साल भर दूध देते हैं। ऐसे त्योहारों पर हम दूध अपने पास ही रखेंगे। इसके अलावा सामान्य से भी कम दूध आने पर भी त्योहारों पर दूध डिमांड 50 फीसदी बढ़ जाती है, जो किल्लत का कारण बनती है।
वर्जन
मेरा तो ये मानना है कि शुक्रवार को 10 परिवारों में 8 परिवारों को दूध नहीं मिला। दूध की काफी शॉर्टेज रही। तीज और ईद एक साथ पड़ जाने से ऐसी परिस्थिति पैदा हुई है।
- नैन सिंह, न्यू श्याम डेयरी, सदर
आज तो पीछे से भी दूध काफी कम आया। जो भी दूध था वो सारा बिक गया। सभी लोगों को खाली हाथ लौटाना पड़ रहा है। दिन में दो त्योहार होने से लोगों को काफी दिक्कत हुई है।
- प्रिंस गोयल, राकेश डेयरी, शारदा रोड
बॉक्स
पैक्ड दूध से मिली थोड़ी राहत
जहां एक ओर डेयरी दूध की किल्लत झेलनी पड़ी वहीं पैक्ड दूध ने लोगों को थोड़ी राहत जरूर पहुंचाई लेकिन दोपहर आते-आते मार्केट से दूध पूरी तरह से खत्म हो गया। शास्त्री नगर निवासी कमल बंसल की माने तो जब दूध वाला घर नहीं आया तो पैक्ड दूध से ही काम चलाना पड़ा। लेकिन पैक्ड भी जरुरत के हिसाब से नहीं मिला। दो लीटर में से सिर्फ एक ही लीटर मिल पाया।
पब्लिक वर्जन
आज घर में दूध न आने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। घर में छोटे बच्चे हैं उन्हें तो दूध जरूर चाहिए। फिर चाहे वो अधिक रुपए में ही क्यों न खरीदना पड़े।
- मनोज अरोड़ा, रजबन
सुबह पहले का थोड़ा दूध था तो उसकी मॉर्निंग में चाय बन गई। जब दूध वाला नहीं आया तो दिक्कत काफी बढ़ गई। तीज की वजह से मेहमान भी आए थे तो मशक्कतों के बाद दूध का इंतजाम करना पड़ा।
- रुपाली खुराना, छिपी टैंक
तीज और ईद के मौके पर दूध की काफी किल्लत हुई मुझे थोड़ा एक्स्ट्रा दूध की जरुरत थी। काफी मार्केट में घूमा तो कहीं मिला नहीं। कहीं मिला तो रेट इतने हाई थे कि माथा चकरा गया। अंत मे मुझे एक्स्ट्रा पे करके दूध खरीदना पड़ा।
- रामकुमार शर्मा, साकेत
आज तो दूध न आने की वजह से हमें काफी दिक्कत झेलनी पड़ी। हमारे घर में सभी लोग दूध ही पीते हैं तो खपत भी ज्यादा है। सुबह से दूध वाले का इंतजार करते रहे, लेकिन नहीं आया। उसके बाद मार्केट में भी काफी ढ़ूंढने के बाद दूध मिला।
- मौसमी चौधरी, सदर
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फैक्ट्स एंड फिगर
- सिटी के विभिन्न मोहल्लों में छोटे-बड़े दूध विक्रेता हैैं 2500.
- शहर व आसपास के इलाकों में पशुपालक डेयरियों की संख्या 1500 हैं।
- आम दिनों में डेयरी दूध की खपत डेली 5 लाख लीटर है।
- इसी तरह एक दिन में पैक्ड दूध की खपत 2.5 लाख लीटर है।
- आम तौर पर एक दिन में कुल दूध की मांग 7.25 लाख लीटर।
- त्योहारों पर होती है 10 लाख लीटर दूध की मांग।