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DEHRADUN: समय आ गया है कि देश में राजनैतिक दलों पर लगाम लगे. दो ऑप्शन हों और बेहतर ऑप्शन हों तो आम आदमी को अपना लीडर चुनने में आसानी होगी. ऐसे में अपने लीडर को समझने और उसकी पॉलिसी भी स्पष्ट हो सकेगी. इसके साथ ही क्वालीफाइड लीडर को पॉलिटिक्स में आना चाहिए. सहस्रधारा रोड स्थित वीआर क्लासेज में हुए राजनी-टी के दौरान मिलेनियल्स ने इन सभी इश्यूज पर बेबाकी से अपनी राय दी.

इलेक्शन के मुद्दे से शुरु हुई बात
वीआर क्लासेज के एमडी वैभव राय ने चाय की चुस्कियों के बीच इलेक्शन को लेकर अपनी बात रखते हुए सबसे पहले एजुकेशन सिस्टम को लेकर बेहतर पॉलिसी लाने की जरूरत पर जोर डाला. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा हायर एजुकेशन में सरकार को काम करने की जरूरत है, जिससे दूर-दराज के इलाकों से बड़े शहरों की ओर पलायन करने वाले स्टूडेंट्स को राहत मिल सके. उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में आए दिन नए-नए राजनीतिक दल सामने आ रहे हैं, जिनके पास न कोई विजन है न कोई सोच. ऐसे में इंडिया में सीधे दो दलों के बीच ही इलेक्शन होना चाहिए. जो पढ़े-लिखे और स्पष्ट सोच रखते हों. वैभव राय की बात पर सुधीर प्रसाद ने कहा कि दलबदलू नेताओं ने राजनीति को बदनाम करने का काम किया है. ऐसे में स्वच्छ छवि और ईमानदार नेताओं को आगे आने चाहिए और ऐसे लीडर्स को ही वोट करना चाहिए. समीर कुमार सिन्हा ने मेडिकल और एजुकेशन को फ्री करने की पैरवी की. जिससे आम आदमी को सहूलियत हो सके. जितेन्द्र वर्मा ने कहा कि सरकार को ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए जिससे नौकरियां योग्यता के अनुरूप ही मिले. हर जॉब की क्राइट एरिया फिक्स होनी चाहिए. सुधीर प्रसाद ने राजनीति में बदलते परिवेश और लीडर्स को अपनी जुबान और भाषा को सुधारने की नसीहत दी.

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ
निर्मला भट्ट ने इलेक्शन के समय ऐसे लीडर्स को सबक सिखाने की वकालत की, जो इलेक्शन में घोषणाएं करने के बाद जीतकर गायब हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लीडर्स को वोट देना चाहिए, जो धरातल पर काम करके दिखाए न कि कोरी घोषणाएं करे. लीडर इलेक्शन के टाइम पर पब्लिक को कई सपने दिखाते हैं, लेकिन इलेक्शन के बाद लीडर अपने वादों को भूल जाते हैं. निर्मला की बात पर सभी ने सहमति जताई. उन्हें सतमोला की ओर से प्राइज दिया गया.

 

 

युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं तलाशने की जरूरत है. सरकार सिर्फ कागजों में ही रोजगार के आंकडे़ बढ़ाती है. अगर रोजगार नहीं दे सकते तो स्वरोजगार को लेकर पॉलिसी बनानी चाहिए. हमें ऐसे लीडर्स की जरुरत है.

तरुण कुमार, प्राइवेट जॉब

एजुकेशन सेक्टर में बहुत कुछ बदलाव की संभावनाएं हैं. खासकर हायर एजुकेशन में. छोटे-छोटे शहरों से लोग बड़े शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. रोजगार की तलाश में लोग परेशान हैं. सरकार को एजुकेशन सिस्टम पर बेहतर प्लान बनाने की जरूरत है.

साहिल गब्बी, प्राइवेट जॉब

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भ्रष्टाचार इलेक्शन में सबसे बड़ा इश्यू रहता है. लेकिन, इलेक्शन के बाद भ्रष्टाचार का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. सिस्टम में कई खामियां है. इनको सुधारने के लिए स्ट्रॉंग विजन की जरूरत है. हमें ऐसे लीडर्स की जरूरत है. मेरा वोट भ्रष्टाचार के खिलाफ है.

डा. सौरभ कुमार यादव, टीचर

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महिला सुरक्षा आज भी सबसे बड़ा इश्यू है. हमारे लीडर्स सिर्फ महिलाओं को बराबरी देने की बात करते हैं. लेकिन कोई भी ऐसी पॉलिसी नहीं आई जिससे ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो जो महिलाओं के उत्पीड़न का आरोपी हो.

नैना अरोड़ा, प्राइवेट जॉब

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शहरों में प्राइवेट जॉब कर रहे युवाओं के लिए स्पेशल पॉलिसी आनी चाहिए. बेरोजगारी की वजह से यूथ ऐसी नौकरियां करने को मजबूर हैं जिसमें आमदनी कम होती है. आय के साधन बढ़ाने के लिए अच्छे लीडर और अच्छी पॉलिसी की जरुरत है.

ममता नेगी, प्राइवेट जॉब

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स्मार्ट सिटी के बारे में सुना था, लेकिन अभी तक कोई काम धरातल पर नहीं दिख रहा है. ट्रैफिक, सड़क और मूलभूत सुविधाओं की कमी है. स्मार्ट सिटी के लिए स्मार्ट लीडर की आवश्यकता है.

मनीषा नेगी, प्राइवेट जॉब

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शिक्षा के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. सरकार को चाहिए कि स्कूलों के हालात सुधारे. इसके लिए पढ़े-लिखे लोगों को आगे आने की जरूरत है. मेरा वोट पढ़े लिखे समझदार लीडर को.

पूजा मौर्य, प्राइवेट जॉब

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लीडर हमेशा ऐसा चुनना चाहिए जो उस पद की योग्यता रखता हो. हमारे देश में इलेक्शन लड़ने वाले लीडर की क्वालिफिकेशन तय होनी चाहिए. तभी सिस्टम सुधरेगा.

सीमा नौटियाल, प्राइवेट जॉब

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एजुकेशन और रोजगार के लिए बेहतर पॉलिसी बनाने की जरूरत है. एजुकेशन सुधरेगा तो रोजगार के साधन अपने आप बढ़ेंगे. लीडर्स को इन दोनों इश्यू पर स्पष्ट पॉलिसी लानी चाहिए.

मनु नैनवाल, प्राइवेट जॉब

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स्वच्छ छवि और ईमानदार लीडर को वोट करना चाहिए. जो जमीन पर रहकर काम करके दिखाए. संसद में हमारे मुद्दे उठाए न कि जीत के बाद 5 वर्ष तक गायब रहे.

श्रद्धा शर्मा, प्राइवेट जॉब

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मेरा वोट ऐसे लीडर्स को जो कार्य को धरातल पर करके दिखाए न कि कोरी घोषणाएं करे. लीडर इलेक्शन के टाइम पर पब्लिक को कई सपने दिखाते हैं, लेकिन इलेक्शन के बाद लीडर अपने वादों को भूल जाते हैं.

निर्मला भट्ट, प्राइवेट जॉब

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आम आदमी को 2 ही चीजों को फेस करना पड़ रहा है. जिसमें सबसे ज्यादा पैसा खर्च हो रहा है, वो है मेडिकल और एजुकेशन. सरकार को चाहिए कि वे मेडिकल और एजुकेशन को फ्री करे. भले ही इसके बदले कोई टैक्स चार्ज करे.

समीर कुमार सिन्हा, टीचर

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सरकार को ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए जिससे नौकरियां योग्यता के अनुरूप ही मिलें. हर जॉब की क्राइट एरिया फिक्स होनी चाहिए. ज्यादा बेरोजगारी होने का कारण पढ़ लिखकर भी एक ही नौकरी के पीछे भागने का है. ऐसे में ऐसी पॉलिसी बनानी होगी.

जितेन्द्र वर्मा, टीचर

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मेरी बात
आज के लीडर्स को पहले तो अपनी वाणी पर कंट्रोल होना चाहिए. किसी को भी किसी दूसरे लीडर को गलत शब्दों का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है. मेरा वोट हमेशा स्वच्छ छवि के ईमानदार व्यक्ति को, जो सही योग्यता भी रखता हो.

सुधीर प्रसाद, टीचर

कड़क मुद्दा
जिस तरह देश में आए दिन राजनैतिक दल सामने आ रहे हैं. इन पर रोक लगाने की जरूरत है. इंडिया में 2 राष्ट्रीय दलों को ही मान्यता मिलनी चाहिए, जिससे आम जनता को कैंडीडेट चुनने में आसानी हो. दो लीडर्स जो क्वालिफाइड हों, उनके बीच ही इलेक्शन होना चाहिए. इससे जहां देश में स्वच्छ राजनीति शुरू होगी. वहीं शिक्षा और रोजगार के साधनों को लेकर भी बेहतर पॉलिसी सामने आ सकती है.

वैभव राय, एमडी, वीआर क्लासेज