दिलों में जगह बनाने की कोशिश

शासन-प्रशासन के बाद अपने चुनावी अभियान में भी सोशल मीडिया का नरेंद्र मोदी भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं. जमीन के साथ-साथ साइबर संसार के जरिये मोदी सिर्फ अपनी बात लोगों तक पहुंचा ही नहीं रहे हैं, बल्कि सीधा संवाद व जुड़ाव भी बना रहे हैं. जिस समय केंद्र सरकार और कांग्रेस सोशल मीडिया क्षेत्र में अपनी पहुंच मजबूत बनाने में लगी है, तब मोदी ने लोगों के दिमाग के साथ-साथ दिलों में भी जगह बनाना शुरू कर दिया है. इसका ताजा उदाहरण रविवार को हैदराबाद में होने वाली नरेंद्र मोदी की बहुचर्चित रैली है. उत्तराखंड पीडि़तों की मदद के लिए इस रैली में आने वालों से पांच रुपये लिए जा रहे हैं. दक्षिण भारतीय गढ़ में हो रही मोदी की इस रैली में शामिल होने के लिए लोगों में खासा उत्साह है. इसका उदाहरण है कि 85 वर्षीय मेरी सिंह बैंस.

मोदी के लिए सबसे खास होंगी बैंस

इस रैली में जितने भी लोग आएं, उनमें मोदी के लिए सबसे खास बैंस ही होंगी. हैदराबाद में जन्मीं मेरी सिंह का नाम शादी से पहले मेरी बेल था. पंजाब के सरदार मोहन सिंह बैंस से शादी के बाद वह मेरी सिंह बैंस हो गईं. अब पति दुनिया में नहीं हैं और चार बेटे विदेश में रहते हैं. वह हैदराबाद में छोटी बेटी कंवलजीत के साथ रहती हैं. मेरी सिंह को पता नहीं क्यों नरेंद्र मोदी में अपना बेटा दिखाई पड़ता है. जब मोदी की हैदराबाद में अपने आप में अनूठी रैली होने का पता चला तो फिलहाल जर्मनी में मौजूद अपने बेटे आर.एस.बैंस से रैली में जाने की इच्छा जताई. आर.एस.बैंस ने 7 अगस्त को नरेंद्र मोदी को ट्विटर पर संदेश दिया कि उनकी मां के लिए रैली के कृपया दो टिकट का इंतजाम करा दें. साथ ही लिखा कि उनकी मां मोदी को अपना पांचवा बेटा मानती हैं.

सक्रिय मोदी टीम ने तुरंत बात सीएम तक पहुंचाई

सोशल मीडिया पर सक्रिय मोदी की टीम ने तुरंत यह बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाई. अगले कुछ ही मिनटों में मोदी ने सीधे बैंस को जवाब दिया और खुद को सौभाग्यशाली बताया कि उनकी मां रैली में आना चाहती हैं. इसके बाद मोदी ने आंध्र प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी को निर्देश दिए कि मिसेज बैंस को टिकट मुहैया कराया जाए और ऐसी जगह बैठाया जाए, जहां उनकी भेंट मोदी से हो सके. मेरी अपनी बेटी कंवलजीत के साथ रविवार को रैली में जाएंगी और वह बेहद खुश हैं. उन्होंने ‘दैनिक जागरण’ से कहा कि बहुत दिनों से उनकी इच्छा थी मोदी से साक्षात मिलने की जो इतनी आसानी से पूरी होगी, कभी सोचा भी नहीं था.  

Report by: Ashutosh Jha (Dainik Jagran)

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