बेझिझक वारदात को अंजाम दे देते हैं
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AGRA : कलेक्ट्रेट में बेशक जिले के आलाअधिकारी डीएम और एसएसपी बैठते हैं। पर यहां बंदरों की हुकूमत चलती है। वे बेझिझक वारदात को अंजाम दे देते हैं और जिला प्रशासन असहाय बना रहता है। ऐसा ही वाकया बुधवार को देखने को मिला। जब एसएसपी कार्यालय के सामने ही एक किसान को लूट लिया गया। किसान के बैग में रुपये और दवाएं थी। लूटने वाले कोई और नहीं बंदर था। हालांकि कड़ी मशक्कत और मिन्नतों के बाद बैग मिला और किसान ने राहत की सांस ली।

पहचान वाले से मिलने पहुंचा था किसान
अलीगढ़ निवासी हरी सिंह बुधवार को कलेक्ट्रेट में किसी व्यक्ति से मिलने के लिए पहुंचा था। उसके हाथ में एक बैग था। उसमें 1600 रुपये और दवाएं रखीं थी। एसएसपी ऑफिस के सामने वह पहुंचा ही था कि एक बंदर आया। झपट्टा मारा और बैग छीनकर भाग खड़ा हुआ। मौजूद लोग बंदर के पीछे दौडे़ और चिल्लाए भी, लेकिन बंदर बैग को लेकर छत पर चढ़ गया। कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों ने काफी कोशिश की लेकिन बंदर ने थैला को नहीं छोड़ा।

सीढ़ी और रस्सी का लिया सहारा
बंदर से थैला लेने के लिए करीब 20 फीट की सीढ़ी और रस्सी मंगवाई गई। उस पर कलेक्ट्रेट के कर्मचारी चढे़। लाख मिन्नतों के बाद भी बंदर आसानी से बैग को देने के लिए तैयार नहीं हुआ। बंदर ने बैग से रुपये निकाले और दो सौ रुपये फाड़ दिए। बाकी के 1400 रुपयों को फेक दिया। कर्मचारी छत से बमुश्किल दवाओं सहित रुपयों तक पहुंचे।

करोड़ों किए जा चुके हैं खर्च
बंदरों की आबादी कम हो सके। इन्हें पकड़कर बाहर किया जा सके। इसके लिए प्रशासन ने करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए। लेकिन न तो बंदरों की आबादी कम हुई और नहीं इन्हें पकड़ा जा सका। नसबंदी के नाम पर महज औपचारिकता भर निभाई गई और एडीए ने भुगतान करोड़ों में कर दिया।