- एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशाओं को दी जाएगी ट्रेनिंग

-घर पर जाकर नवजात और उसकी मां की देखरेख करेंगी आशा

0-42 दिन तक के बच्चे की करनी होगी देखरेख

6 विजिट संस्थागत प्रसव होने पर करनी होंगी

7 विजिट घर पर प्रसव होने पर करेंगी आशा वर्कर

बरेली :

डिस्ट्रिक्ट में एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत अब मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जाएगी. इसके लिए आशाओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके लिए लखनऊ में एनएचएम के अफसरों को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है. यह सभी अफसर डिस्ट्रिक्ट स्तर पर ट्रेनरों को तैयार करेंगे जो आशाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें मातृ और शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए ट्रेंड करेंगी. अफसरों का मानना है कि एक माह में ही ट्रेनर तैयार कर ट्रेनिंग शुरू करा दी जाएगी. जिसके बाद आशाओं को ब्लॉक स्तर पर ट्रेनिंग कराई जाएगी.

42 दिन तक करनी होगी देखभाल

मातृ एवं शिशु दर में कमी लाने के लिए प्रसव के साथ मां और नवजात शिशु की देखभाल के लिए होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर (एचबीएनसी) कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसके अंतर्गत आशा कार्यकर्ताओं को बच्चे के जन्म से लेकर 42 दिन तक घर पर जाकर मां एवं बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी लेनी होगी. कोई समस्या होने पर उसे हॉस्पिटल भेजने की भी व्यवस्था करानी होगी. कार्यक्रम के तहत प्रसव संस्थागत हुआ है तो उसकी देखभाल 6 बार करनी होगी. जिसके तहत 3, 7, 14, 21, 28, 42 वें दिन आशा कार्यकर्ता घर पर जाकर बच्चे की देखभाल करेंगी. अगर प्रसव घर पर हुआ है तो 7 बार आशा वर्कर मां एवं बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए उसके घर पर पहुंचेंगी. जिसमें 1, 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42 वें दिन घर पर जाकर नवजात और उसकी मां की देखभाल कर स्वास्थ्य की जानकारी भी देनी होगी.

एचबीवाईसी कार्यक्रम भी जल्द

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कम्यूनिटी प्रोसेस मैनेजर जितेंद्र पाल सिंह ने बताया कि एचबीएनसी कार्यक्रम के परिणाम अच्छे रहे हैं जिसको देखते हुए अब 15 माह तक के बच्चों की देखभाल करने के लिए केंद्र सरकार ने होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर फॉर यंग चाइल्ड एचबीवाईसी कार्यक्रम की शुरूआत करने का भी मन बनाया है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत शिशुओं की वृद्धि में सुधार समुचित विकास और बाल अवस्था में होने वाली बीमारियों जैसे कि डायरिया और निमोनिया और उनके कारण होने वाली मृत्यु से उनका बचाव करना है.

ऐसे होगा काम

डिस्ट्रिक्ट स्तर पर योजना शुरू करने से पहले ट्रेनर तैयार किए जाएंगे. इसके लिए प्रदेश स्तर पर अफसरों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. ट्रेनर अब ब्लॉक पर आशा एवं आंगनबाड़ी वर्कर्स को प्रशिक्षित करेंगी. इसके बाद आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स को एक सहायक पुस्तिका भी दी जाएगी. जो नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के घर पर जाने के दौरान आशा को अपने साथ रखनी होगी. पुस्तिका में कार्यक्रम की पूरी जानकारी भी दी गई है.

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