-लाइसेंस शुल्क तक को व्यापारियों ने देने से किया मना

-सरकार का निर्देश नगर निगम आय बढ़ाने पर करे विचार

-पार्किंग सहित योजनाएं हो चुकी हैं धाराशाही, निगम के बढ़ रहे हैं खर्चे

GORAKHPUR: नगर निगम के इनकम बढ़ाने की कोशिशें परवान चढ़ने के बजाए फेल होती जा रही हैं। इनकम के नए रास्ते तो नहीं खुल रहे, बल्कि इनके कारण नुकसान ज्यादा हो रहा है। सरकार के निर्देश के बाद निगम ने लाइसेंस शुल्क लगाया, जिसे व्यापारियों ने देने से साफ मना कर दिया। शहर के बिजी सड़कों के दोनों किनारे पार्किंग बनाने की योजना भी फेल हो गई है। जबकि, स्वच्छता अभियान सहित सफाई के खर्चो में कमी नहीं हो पा रही है। हालांकि टैक्स रिवैल्युशन का काम किया जा रहा है, जिससे निगम की आय में बढ़ोत्तरी होगी। इसके अधिक पर निगम कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर पा रहा है।

लाइसेंस शुल्क बना सिरदर्द

लाइसेंस शुल्क की वसूली नगर निगम के लिए सिरदर्द बन चुका है। सराफा कारोबारियों के बाद किराना, कपड़ा, हार्डवेयर, टेलर्स शाप, लोहार, चार्टर्ड एकाउंटेंट, टेंट हाउस और डेयरी संचालकों ने भी निगम को लाइसेंस शुल्क देने से मना कर दिया है। निगम ने करीब 8 हजार लोगों को निगम ने लाइसेंस शुल्क जमा करने के लिए नोटिस दिया था। व्यापारी लाइसेंस शुल्क को जबर्दस्ती का शुल्क बता रहे हैं। व्यापारियों का तर्क है कि जब नगर निगम गृहकर, सीवर कर और जलकर लेता है तो फिर लाइसेंस शुल्क किसलिए लिया जा रहा।

एक महीने भी नहीं चली पार्किंग

इनकम बढ़ाने के लिए नगर निगम ने शहर में 13 मुख्य सड़कों के किनारे पार्किंग का इंतजाम किया था। पहले चरण में 5 जगहों पर पार्किंग शुरू की गई थी, लेकिन सही इंतजाम नहीं होने के कारण एक महीने में ही टेंडर निरस्त करना पड़ा। ट्रैफिक पुलिस व निगम में सामंजस्य नहीं होने के कारण व्यापारियों, पब्लिक व ठेकेदार सभी शिकायत करने लगे। इसमें निगम को कोई फायदा तो नहीं हुआ, लेकिन टेंडर जारी करने से लेकर निरस्त करने तक काफी विवाद की स्थिति बन गई थी।

निगम की आय

हाउस टैक्स से 18 करोड़

रेंट से 8 करोड़

लाइसेंस 4 करोड़

विज्ञापन 2.5 करोड़

जुर्माना .5 करोड़

निगम के खर्चे

नगर निगम के खर्चो में कर्मचारियों अधिकारियों की सेलेरी, पेंशन व भत्तों के बेसिक खर्चे तो होते ही हैं। इसके अलावा सफाई सहित कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार पर भी निगम खर्चे करता है। वार्डो में विकास कार्य, निर्माण व भवनों के मरम्मत पर भी बड़ा अमाउंट खर्च किया जाता है। इन खर्चो की कोई सीमा नहीं है क्योंकि निगम एरिया में बहुत सारे विकास कार्य कराए जाने हैं। साथ ही निगम गाडि़यों के फ्यूल पर भी खर्च करता है।

-आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन पर खर्च- 2.4 करोड़

-नियमित कर्मचारियों के मानदेय पर खर्च 2 करोड़

-अन्य कर्मचारियों व अधिकारियों के वेतन पर खर्च 2 करोड़

-गाडि़यों के फ्यूल पर 60 लाख मासिक

वर्जन

आय बढ़ाने के लिए हम लोग मकानों का सर्वे कराकर उन्हें टैक्स के दायरे में जा रहे हैं। साथ ही सभी वार्डो में अपनी जमीनों का सर्वे किया जा रहा है। उनका व्यावसायिक उपयोग किया जाएगा।

सीताराम जायसवाल, मेयर