एसटीएफ के फाउंडर मेंबर हैं राजेश कुमार

आठ लाख रुपये के इनामी रहे मुन्ना बजरंगी की हत्या पर मेरठ के एसएसपी राजेश कुमार पांडे ने बजरंगी से जुड़ी अपनी यादें हमारे साथ साझा कीं।

- 1998, डीएसपी, लखनऊ

 

मुन्ना कुख्यात हो चुका था

 

तब तक मुन्ना बजरंगी कुख्यात डॉन बन चुका था। उसका गैंग तैयार था। वह फिरौती और लूट के लिए बहुत तेजी से व्यापारियों और नेताओं के मर्डर कर रहा था। कोई पुलिसकर्मी उसकी मुखबिरी करता, तो मारा जाता।

 

एसटीएफ को कमान

तत्कालीन डीजीपी अजय राज शर्मा ने ऐसे बदमाशों से निपटने के लिए 4 मई 1998 को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई। इसमें एक एसपी अरुण कुमार, दो डीएसपी राजेश कुमार पांडे और वीर सिंह के अलावा पांच इंस्पेक्टरों को शामिल किया गया। टीम ने मुन्ना की तलाश शुरू की।

- 2001, डीएसपी, एसटीएफ

 

 

 

दिल्ली में मुठभेड़

मुन्ना कई राज्यों की पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका था। एसटीएफ को पता चला कि वह एक कार में दिल्ली के समयपुर बादली क्षेत्र में एक पेट्रोल पंप पर आएगा। हम मुस्तैद हो गए। मुन्ना आया। हम उसे पकड़ने दौड़े, लेकिन वह गोली चलाने लगा। मैंने भी कई फायर किए। मुन्ना को आठ गोलियां लगीं। हमने समझा, मारा गया। एक पुलिसकर्मी उसे पोस्टमार्टम हाउस ले गया, वहां उसके हाथ हिलने लगे। उसे निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया। वहां से वह पुलिस की निगरानी से भाग निकला।