ढाई लाख में खरीदी थी भैंस

सिंघवा गांव के 55 वर्षीय किसान कपूर सिंह ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले इस भैंस को ढाई लाख रुपये में खरीदा था. तब से लेकर यह लगातार दुग्ध प्रतियोगिताओं और प्रदर्शनों में इनाम जीतती आ रही है. इसीलिए इसका नाम लक्ष्मी रखा गया. उसकी देखभाल के लिए समय-समय पर पशु चिकित्सकों व विशेषज्ञों से सलाह लेता रहा.

नहीं बेचना चाहते थे लक्ष्मी को

तीन दिन पूर्व कुछ पशु व्यापारी आंध्र प्रदेश के हनुमान जंक्शन गांव के सरपंच राजीव को उनके घर लेकर पहुंचे. वह भैंस को बेचना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने इसकी कीमत 25 लाख मांगी ताकि वे उसे न खरीदें और लौट जाएं. पर राजीव को लक्ष्मी इतनी ज्यादा पसंद आई कि उन्होंने तुरंत यह सौदा पक्का कर दिया. लक्ष्मी का पहला कटड़ा भी तीन लाख रुपये में बिका था.

25 लाख में बिककर बनाया रिकॉर्ड

पंजाब के मुक्तसर जिले में आयोजित मेले में पुरस्कार हासिल करने वाली लक्ष्मी जींद में आयोजित पशु प्रदर्शनी में रैंप पर भी जलवा दिखा चुकी है. लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह का कहना है कि मुर्राह नस्ल की भैंस ने 25 लाख रुपये की कीमत हासिल कर कीर्तिमान स्थापित किया है. इससे और किसानों को भी प्रोत्साहन मिलेगा. इसका पूरा श्रेय पशुपालन विभाग के महानिदेशक डॉ. कृष्ण दांगी को जाता है, जिन्होंने मुर्राह नस्ल को पालने के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित किया.

बुल्गारिया और दक्षिण अमेरिका में भी फेमस

हरियाणा पशु धन विकास बोर्ड की स्थापना कर कृत्रिम गर्भाधान विधि, दुग्ध प्रतियोगिताएं व भैंस का मुफ्त बीमा योजना लागू की गई, जिससे पशुपालकों में मुर्राह नस्ल के प्रति रुझान बढ़ा. गौरतलब है कि उन्नत मुर्राह नस्ल की भैंस पूरे एशिया महाद्वीप में पाई जाती है. इसके अलावा बुल्गारिया से लेकर दक्षिण अमेरिका के देशों में भी यह बहुत प्रसिद्ध है.

Report by: OP Vashishth (Dainik Jagran)

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