शूटर प्रिया सिंह ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से की बात

Meerut। शूटर प्रिया की आर्थिक स्थिति ठीक नही हैं, लेकिन उसके दिल में देश के लिए मेडल जीतने का जज्बा है। शनिवार को एडीएम प्रशासन के कार्यालय में पहुंची प्रिया ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को बताया कि वह कई प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुकी है, अगर उसे मौका मिले तो देश के लिए कई मेडल जीत सकती है।

परिवार में आठ सदस्य

एडीएम प्रशासन के कार्यालय पहुंची प्रिया ने बताया कि उसके परिवार में आठ सदस्य हैं, जिसमें माता-पिता के अलावा 6 भाई-बहन हैं। प्रिया चौथे नंबर पर है और उसकी दो बहन व एक भाई की शादी हो चुकी है। जबकि दो छोटे भाई अभी ग्रेजुएशन कर रहे हैं। प्रिया ने बताया कि वह 2014 से एनसीसी के 73 बटालियन से ही अपनी शूटिंग की प्रैक्टिस करती आ रही है। साथ ही अभी तक 17 पदक जीत चुकी है। जनवरी में उसे एक रक्षामंत्री पदक व एक गर्वनर पदक भी मिल चुका है।

कहीं निकल जाए मौका

प्रिया सिंह ने बताया कि वह खेलों में हिस्सा लेना चाहती है लेकिन 3-4 लाख रुपये का इंतजाम उसके पास नहीं था। उसके पिता मजदूर हैं और बहुत इंतजाम के बाद भी इतना पैसा नहीं जुटा पा रहे थे। उसने बताया कि दो बार खेल मंत्री से मिलने गई लेकिन वह नहीं मिले। प्रिया के पिता बृजपाल सिंह का कहना है कि उन्होंने स्थानीय एमएलए, खेल मंत्री सहित कई अन्य प्रतिनिधियों से गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी बेटी के खेलने में हिस्सा लेने के लिए अपने एक दोस्त से कर्जा लिया है। अपनी भैंसे भी बेच दी हैं।

टॉप तीन को अर्थिक सहायता

सरकार की ओर से टॉप तीन खिलाडि़यों को ही आर्थिक सहायता दी जाती है। चूंकि प्रिया सिंह चौथे स्थान पर थीं इसलिए नियमानुसार वह यह सहायता नहीं हासिल कर पाई।

राइफल भी नहीं

प्रिया के पास खुद की राइफल तक नहीं है। 2017 तक वह एनसीसी कैडेट थी तो उसे राइफल मिली हुई थी। आर्थिक मदद हासिल होते ही प्रिया भाई के साथ किराए की राइफल लेने के लिए दिल्ली रवाना हो गई।