एकदम जलसे का माहौल है. ढोल नगाड़े बज रहे हैं.

मंच के ठीक पीछे एक अस्थायी हैलीपैड बनाया गया है. पूरे रैली स्थल पर एससीडी के कम से कम ऐसे 10 विशाल स्क्रीन लगाए गए हैं जिस पर मोदी के बारे में छोटी छोटी क्लिप्स दिखाई जा रही हैं.

प्रदेश भारतीय जनता पार्टी और कई बड़े राष्ट्रीय नेता पिछले दो दिनों से अमेठी में मोदी की सोमवार को होने वाली रैली को सफल बनाने में जुटे रहे.

सोमवार सुबह से ही हजारों लोगों का हुजूम बसों, ट्रैक्टरों और जीपों में भरकर रैली स्थल पर इकट्ठा होना शुरू हो गया था.

आस-पड़ोस के जिले

अमेठी में नरेंद्र मोदी की रैली

रैली शुरू होने के एक घंटे पहले तक करीब 300 बसें और उतनी ही गाड़ियां तथा जीप यहां पहुंच चुके हैं.

रैली स्थल पर पानी पीने की पर्याप्त सुविधा है, साथ ही खाने की भी अच्छी व्यवस्था है.

रायबरेली से सुल्तानपुर के केटरिंग हाउसेज से प्लास्टिक की कुर्सियां और दरियां तक मंगाई गई हैं.

हालांकि ये साफ तौर पर नजर आता है कि रैली में आ रहे कम से कम आधे लोग अमेठी के नहीं हैं, बल्कि वे आस-पड़ोस के जिलों के हैं.

महिलाओं की भागीदारी

अमेठी में नरेंद्र मोदी की रैली

प्रदेश के चुनाव प्रभारी और मोदी के खास अमित शाह और प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी की निगरानी में सारे इंतजाम करवाए गए हैं.

वैसे ये बात आश्चर्यजनक है कि वरूण गांधी, जो पास के सुल्तानपुर से उम्मीदवार हैं, अभी तक अनुपस्थित हैं. जबकि अमेठी से भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी रैली के लिए जुट रहे लोगों से मिल रही हैं.

निश्चित तौर पर इस रैली से मोदी और भाजपा देश भर में एक संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में भी अपनी ताकत आजमा सकते हैं.

खास बात ये है कि रैली में महिलाएं काफी संख्या में दिख रही हैं. आमतौर पर इस क्षेत्र की रैलियो में, खराब मौसम या गर्मी के बीच महिलाओं की कम भागीदारी होती रही है.

अमेठी में नरेंद्र मोदी की रैली

मोदी और भाजपा की कोशिश है कि चुनाव प्रचार खत्म होने के पहले वाले कुछ घंटों में इस पूरे क्षेत्र में वोटरों तक अपनी पहुंच बनाई जा सके.

विशालकाय रैली

7 मई को अमेठी समेत जिन 15 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है उसमें भाजपा की झोली में फिलहाल एक भी नहीं है.

रैली में आने वाले ज्यादातर लोग यही कह रहे हैं कि वे विकास के मुद्दे पर भाजपा को वोट देंगे.

अमेठी में नरेंद्र मोदी की रैली

हालांकि उनमें से ज्यादातर को ये नहीं पता है कि गुजरात में किस तरह का कथित विकास हो रहा है.

रैली में आए कुछ लोगों का निजी मत है कि यहां पर इस तरह की विशालकाय रैली सोनिया गांधी की भी नहीं हुई.

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