बैठक में क्या रहा खास
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर दोनों देशों के विचारों में समानता है और इसलिए भारत-अमेरिका के बीच वैश्विक साझेदारी बहुत जरूरी है. दोनों नेताओं में दक्षिण एशिया समेत पश्चिम एशिया में आतंकवाद पर विस्तार से बातचीत की कई और मुद्दों पर सहमति बनी, लेकिन WTO (विश्व व्यापार सरलीकरण) के विवादित मुद्दे पर भारत टस से मस नहीं हुआ. मोदी ने ओबामा के सामने दो-टूक कहा कि ट्रेड एग्रीमेंट जरूरी है, लेकिन भारत के किसानों की चिंता और खाद्य सुरक्षा की गारंटी से कोई समझौता नहीं होगा. आखिर में मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और उनके परिवार को भारत आने का न्योता भी दिया.

अन्य क्या रहा खास
द्विपक्षीय वार्ता में दोनों देशों के बीच और भी कई बातों पर सहमति बनी. रक्षा सहयोग का फ्रेमवर्क एग्रीमेंट 10 वर्ष के लिए और बढ़ाया गया. जलवायु परिवर्तन पर दोनों देश चिंतित, ये दोनों के लिए ही प्राथमिकता, परमाणु नागरिक ऊर्जा सहयोग और परमाणु नि:शस्त्रीकरण पर जोर, रणनीतिक और खुफिया साझेदारी को और अधिक मजबूत बनाने पर जोर दिया गया. इसके अलावा अजमेर, इलाहाबाद और विशाखापट्टनम को स्मार्ट सिटी बनाने में अमरीका से मदद मिलेगी. दोनों देशों के बीच जिन दूसरे मुद्दों पर समहती बनी उनमें आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ना, सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सहयोग, अमेरीकी परमाणु बिजली तकनीक भारत लाने में मदद, दोनों देशों के बीच कौशल और ज्ञान का आदान-प्रदान शामिल हैं. इसके साथ ही राष्ट्रपति ओबामा ने बताया कि अमेरीका ने भारत के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने का फैसला किया है.

टूटी कई पुरानी परंपराएं भी
ओवल हाउस में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा परंपरा तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी के साथ मार्टिन लूथर किंग के मेमोरियल पर पहुंचे. करीब 10 मिनट तक मोदी और ओबामा ने अफ्रीकी अमेरिकी नागरिकों के मौलिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले महान नेता मार्टिन लूथर किंग के साहसिक प्रयासों को याद किया.

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