मासूम का रीमेक बनाने के पक्षधर नहीं हैं नसीरुद्दीन

फिल्मों का रीमेक बनना ही नहीं चाहिए

उन्होंने कहा, रीमेक फिल्मों का औचित्य मेरी समझ से परे है. पहली बात यह कि फिल्मों का रीमेक बनना ही नहीं चाहिए. पहले यह अलग तरीके से किया जाता था. अब जब तक आपके पास फिल्म के लिए कोई दूसरा दृष्टिकोण न हो रीमेक नहीं बनाना चाहिए. शेखर कपूर द्वारा निर्देशित ‘मासूम’ की कहानी एक सुखी परिवार में बारे है, जो नसीर की नाजायज संतान का पता चलने पर टूट की कगार पर पहुंच जाता है. इसमें नसीर की पत्नी का किरदार शबाना आजमी ने निभाया था. नसीर के चार दशक के फिल्म करियर में मासूम उनकी पसंदीदा फिल्मों में से एक है. हाल ही में आई खबरों में कहा गया था कि गायक और निर्माता हिमेश रेशमिया ने फिल्म के अधिकार खरीदे हैं.

फिल्म की कहानी आधुनिक समय के अनुकूल नहीं

64 वर्षीय नसीर ने कहा, ‘फिल्म की कहानी आधुनिक समय के अनुकूल नहीं है. इस फिल्म को पहले से बेहतर नहीं बनाया जा सकता. मुझे नहीं लगता कि किसी को भी मासूम का रीमेक बनाने की कोशिश करनी चाहिए. आजकल के ई-मेल और मोबाइल के जमाने में कैसे संभव है कि कोई बच्चा दस साल का हो जाए और उसके पिता को उसके होने की खबर ही न हो.’ हाल के वर्षों में बॉलीवुड में कई फिल्मों के रीमेक बने हैं जिनमें अग्निपथ, हिम्मतवाला, चश्मेबद्दूर, डॉन, उमराव जान और कर्ज प्रमुख हैं. जबकि हीरो, जंजीर और बातों बातों में का रीमेक बनाया जा रहा है. नसीर ने 2006 में रिलीज फिल्म यू होता तो क्या होता का निर्देशन किया था.

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