RANCHI :राज्य के इतिहास में पहली बार रांची स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन न्यूक्लियर, पार्टिकल एंड एक्सीलेरेटर मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। इसमें देश-विदेश के 150 से ज्यादा न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स, प्रोफेसर्स व एक्सप‌र्ट्स हिस्सा ले रहे हैं। इस कांफ्रेंस में मुख्य रूप से न्यूक्लियर, पार्टिकल और एक्सीलेरेटर से संबंधित विकास की संभावनाओं पर विभिन्न देशों के साइंटिस्ट्स अपने रिसर्च को सीयूजे के स्टूडेंट्स के समक्ष रखेंगे। इस कांफ्रेंस में मुख्य रूप से भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर मुम्बई के एक्स डायरेक्टर डॉ एस कैलास, इंटर यूनिवर्सिटी एक्सीलेरेटर सेंटर नई दिल्ली के एक्स डायरेक्टर डॉ अमित रॉय, वीईसीसी कोलकाता के एक्स डायरेक्टर डॉ। डीके श्रीवास्तव उपस्थित रहेंगे। वहीं गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में रूस से डॉक्टर एके नासिराव, फ्रांस से गिल्स डे फ्रांस, जर्मनी से पीटर ईगलहोप और पोलैंड से पावेल मोस्कल, आईआईटी रूड़की से एके जैन सहित कई सांइटिस्ट्स, एक्सप‌र्ट्स और प्रोफेसर्स हिस्सा ले रहे हैं।

न्यूक्लियर, पार्टिकल व एक्सीलेरेटर पर मंथन

तीन दिवसीय कांफ्रेंस में न्यूक्लियर, पार्टिकल और एक्सीलेरेटर से संबंधित विकासपरक आविष्कारों के संबंध में सभी विशेषज्ञ अपने अनुभवों को साझा करेंगे। कांफे्रंस के चेयरमैन प्रोफेसर सांरग मेधेकर ने बताया कि न्यूक्लियर प्रोग्राम के तहत विकास की लंबी लकीर कैसे खींची जाए, उनकी तकनीक का कैसे विस्तार हो तथा अन्य देशों में हुए रिसर्च का स्तर किस प्रकार का है। उन देशों के साथ कॉलेब्रेशन पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि झारखंड माइंस बहुल प्रदेश है और पॉल्यूशन फ्री एनर्जी की संभावनाओं और हेल्थ सेक्टर में कैसे रेडियोएक्टिव का उपयोग किया जा सकता है इसपर अनुभवों और रिसर्च को साझा किया जाएगा। झारखंड के जादूगोड़ा में यूरेनियम है और किन-किन क्षेत्रों में रेडियोएक्टिव है, उसके बारे में बताया जाएगा।

झारखंड-ओडि़शा के छात्रों को मिलेगा लाभ

कांफ्रेंस के कन्वेंनर डॉ धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि इस कांफ्रेंस से झारखंड और ओडि़शा जैसे बैकवर्ड एसोसिएटेड स्टेट के स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। क्योंकि इन प्रदेशों में एकेडमिक रिसर्च का ग्रोथ नहीं है। एकेडमिक ग्रोथ के स्तर को बढ़ाने में इस प्रकार के कांफ्रेंस काफी सहयोगी साबित हो सकते हैं। इस कांफ्रेंस के माध्यम से अन्य देशों के न्यूक्लियर आविष्कारों को जानने और उसकी तकनीक को समझने के लिए कोलेब्रेशन तैयार होगा, ताकि झारखंड और अन्य प्रदेशों के स्टूडेंट्स दूसरे देशों में जाकर तकनीक का बारीकी से अध्ययन कर सकें।