कानपुर।  लक्ष्य पाने के लिए नजर नहीं ध्यान भी जरूरी

एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे कि उन्होंने देखा कि एक नदी के किनारे कुछ बच्चे एयरगन से अंडों के छिलकों पर निशाना लगा रहे थे। बच्चों के हर बार निशाना चूक जाते थे। स्वामी जी ने उनसे बंदूक ली और एक के बाद एक 12 सटीक निशाने लगाए। बच्चों ने हैरान होकर पूछा आपने यह कैसे किया। इसपर स्वामी जी ने कहा आपकी नजर तो अंडों पर थी लेकिन ध्यान कहीं और था। सफलता के लिए नजर ही नहीं ध्यान भी लक्ष्य पर ही होना चाहिए। फिर क्या था सभी ने निशाना लगाया और सबके निशाने सही जगह पर लगे।

जो आनंद देने में है वह खुद पाने में नहीं

स्वामी विवेकानंद हमेशा कहा करते थे कि जो सुख देने में वह आनंद किसी और चीज में नहीं। उनके एक जानने वाले ने अपने संस्मरण में लिखा है कि एक बार स्वामी जी अमेरिका स्थित एक महिला के यहां जहां वे ठहरे थे गए और अपना भोजन बनाने लगे। वे अपना भोजन स्वयं बनाते थे। तभी कुछ भूखे बच्चे उनके आसपास जहां हो गए। स्वामी जी ने भोजन बनाने के बाद सब बच्चों को खिला दिया तो महिला ने पूछा कि अब आप क्या खाएंगे। इस पर स्वामी जी ने कहा मां भोजन तो पेट भरने के लिए होता है मेरा न सही उन बच्चों का तो भरा। जो आनंद देने में है वह खुद पाने में नहीं है।

इसलिए दुनिया में होता है मां का गुणगान

एक बार स्वामी विवेकानंद जी से एक व्यक्ति ने पूछा कि दुनिया में मां का इतना गुणगान क्यों किया जाता है। इस पर स्वामी जी ने उसके एक तीन किलो का पत्थर उसके पेट से बांध दिया। वह युवक दोपहर तक तो पत्थर बांध अपना काम करता रहा लेकिन शाम होते ही उसके बर्दाश्त से बाहर हो गया तो वह स्वामी जी के पास आया और बोला कि स्वामी जी यह पत्थर खोल दीजिए अब मुझसे नहीं ढोया जा रहा। स्वामी जी ने कहा कि तुम कुछ घंटे यह तीन किलो का पत्थर नहीं ढो सके जबकि तुम्हारी मां ही नहीं दुनिया की हर मां अपने बच्चे को पेट में नौ महीने तक खुशी-खुशी ढोती है। इसलिए मां से बढ़कर दुनिया में कुछ और नहीं हो सकता। स्वामी जी अकसर अपने प्रवचन में यह कहते थे कि मां से बढ़कर इस संसार में और कुछ नहीं हो सकता।|

राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता

एक न्यूज एंजेंसी के मुताबिक आज महान उपदेशक और दार्शनिक स्वामी विवेकानंद की जयंती है। इस खास मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट करते हुए उन्हें याद किया। उन्होंने ट्वीट किया कि स्वामी जी का दिया हुआ शांति और भाईचारे के संदेश को याद रखना चाहिए। स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था। 4 जुलाई, 1902 को उनका निधन हो गया था।

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