-बीमार बच्चों को देखने के लिए अस्पताल में लगा रहा परिजनों व रिश्तेदारों का तांता

-एनसीसी के अफसरों और अस्पताल की अव्यवस्था से सभी थे काफी नाराज

ALLAHABAD: बेली अस्पताल में भर्ती एनसीसी के संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर में फूड प्वाइजनिंग के शिकार बच्चों को देखने के लिए मंगलवार को उनके परिजनों व रिश्तेदारों का तांता लगा रहा। बीमार बच्चों को देखते हुए सभी काफी नाराज दिखाई दिए। हर कोई एनसीसी के अफसरों को कोसते हुए नजर आया। अस्पताल की अव्यवस्थाएं भी लोगों में गुस्से का कारण रहीं।

सभी ने लगाया लापरवाही का आरोप

बेली के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती सुबह एनसीसी कैडेटों के परिजनों का आना सुबह छह बजे से ही शुरू हो गया था। दोपहर एक बजे तक यहां भर्ती ज्यादातर कैडेटों के परिजन व उनके रिश्तेदारों की भीड़ नजर आई। सभी अपनों का हालचाल लेते रहे। हर किसी का चेहरा गुस्से से लाल था। लोगों का कहना था कि एनसीसी एक तो एनसीसी के अफसरों की लापरवाही से बच्चे फूड प्वॉइजनिंग के शिकार हो गए। ऊपर से अस्पताल में भी कोई व्यवस्था नहीं है। इमरजेंसी वार्ड से लेकर बाल शिशु वार्ड तक में कूलर नहीं चल रहे। वार्ड में भीड़ की वजह से उमस है। इससे बीमार पड़े बच्चे और भी परेशान हैं। नाराज परिजनों व बच्चों के रिश्तेदारों का कहना था कि बच्चों को बासी खाना खिलाया गया। एनसीसी के अधिकारियों ने बच्चों के खाने पर ध्यान नहीं दिया। यदि अधिकारी खाने व पानी को लेकर गंभीर होते तो आज यह नौबत नहीं बनती। एक तरफ से सभी का कहना था कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।

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गुस्साए परिजनों ने कहा

-अस्पताल पहुंचे परिजनों का कहना था कि कैंप में आए अधिकांश बच्चों के पास मोबाइल है।

-यदि एनसीसी के अधिकारी चाहते तो उनके मोबाइल से किसी रिश्तेदार या परिजन को फोन कर सकते थे।

-लेकिन उन्होंने ऐसा करना उचित नहीं समझा। किसी तरह बच्चों को यहां भर्ती कराने के बाद एनसीसी के अधिकारी चले गए।

-दोपहर 12 बजे तक कोई झांकने तक नहीं आया। इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है।

-भर्ती कराए गए बच्चों को केवल नर्स और जूनियर डॉक्टर्स ही देख रहे हैं, इनकी भी संख्या यहां पर्याप्त नहीं है।

-दोपहर को एक बज रहे हैं। अभी तक एक भी सीनियर डॉक्टर बच्चों को देखने के लिए नहीं आया।

-केपी इंटर कॉलेज में जहां प्रशिक्षण चल रहा है वहां भी एनसीसी के सीओ या अन्य किसी अफसरों से नहीं मिलने दिया जा रहा है।

-अस्पताल में भी कोई सीनियर डॉक्टर व अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं, बच्चे काफी परेशान हैं।

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सीनियर कैडेटों में दिखी इंसानियत

अस्पताल में भर्ती बच्चों को देखने मंगलवार को पहुंचे परिजन एनसीसी के अफसरों से जितने खफा थे, बच्चों के सीनियरों की इंसानियत देख उतने खुश भी थे। लोगों का कहना था कि एनसीसी के अधिकारी झांकने नहीं आ रहे। लेकिन भर्ती बच्चों के सीनियर लड़के व लड़कियां जीतोड़ मेहनत कर रही हैं। इनमें से कई ऐसे सीनियर बच्चे थे जो सोमवार की रात से मंगलवार की दोपहर एक बजे तक बीमार बच्चों की तीमारदारी में लगे रहे।