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JAMSHEDPUR : रहस्यमय तरीके से गायब पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर के जुगसलाई चौक बाजार निवासी समाजसेवी बजरंग लाल भरतिया की लाश घटना के आठवें दिन शुक्रवार को बरामद कर ली गई। नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स (एनडीआरएफ) की टीम ने जमशेदपुर से चालीस किलोमीटर पूरब घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी थाना क्षेत्र के बड़ाघाट स्वर्णरेखा नदी तट से लाश को खोज निकाला। लाश कूड़े के ढेर में मिली। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उन्होंने नदी में कूदकर खुदकुशी कर ली या फिर हत्या कर शव को नदी में फेंक दिया गया।

यह है मामला
बीते गुरुवार से बजरंग लाल भरतिया जुगसलाई स्थित खरकई नदी के शिव घाट से अचानक लापता हो गए थे। हालांकि, उनकी स्कूटी और चप्पल नदी तट से बरामद शुक्रवार सुबह बरामद की गई थी। में एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से यह तथ्य सामने आया था कि भरतिया ने गुरुवार शाम को घाट पर स्कूटी खड़ी की और काफी देर तक बैठे रहे। उसके बाद अचानक गायब हो गए। इस आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि वे उन्होंने नदी में कूदकर जान दे दी होरी। हालांकि, मित्रों और परिजनों को खुदकुशी की बात नहीं पच रही थी। उनका कहना था कि वे इतने कमजोर दिल के नहीं थे कि खुदकुशी जैसा कदम उठाएंगे।

1 सितंबर से ढूंढा जा रहा था शव
भरतिया की तलाश एनडीआरएफ की अलग-अलग टीम खरकई और स्वर्णरेखा नदी में कर रही थी। हालांकि, गुरुवार तक टीम को कोई सफलता नहीं मिल पायी थी। 13 सदस्यीय टीम बिष्टुपुर के खरकई, सोनारी के दोमुहानी और मानगो स्वर्णरेखा में एक साथ लगी हुई थी। टीम लीडर पीपी डुंगडुंग ने बताया कि नदी में तेज बहाव के कारण टीम को शव ढूंढने में काफी परेशानी हुई। लेकिन टीम ने हौसला बुलंद कर भरतिया के शव की खोज में जुटी रही।

पटना से आई एनडीआरएफ टीम
शुरुआत में स्थानीय गोताखोरों की मदद से शव को ढूंढने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद उपायुक्त ने पटना से 13 सदस्यीय एनडीआरएफ टीम को शुक्रवार को शहर बुलाया। टीम ने जमशेदपुर से लेकर घाटशिला तक सर्च ऑपरेशन चलाया और अंत में सफलता मिली। गरुवार को गालूडीह से मउभंडार और मुसाबनी तक स्वर्णरेखा नदी के किनारे और सतह पर खोज की गई थी।

पैकेट से निकला डायरी व स्कूटी का चाभी
शव को पोस्टमार्टम हेतु भेजने के लिए जब उसे उठाया जाने लगा तो पुलिस को उनके कुर्ता के पैकेट से डायरी, एक्टिवा स्कूटी का चाबी, कुछ रुपए आदि मिले। जो भरतिया का हीं था। भरतिया के पुत्र कमल भरतिया ने अपने पिता के पैकेट से निकले डायरी व अन्य काग•ात को पहचाना।