बचाव अभियान तेज
काठमांडू (पीटीआई)।
बुधवार को नेपाल के पहाड़ी हिलसा क्षेत्र में फंसे 250 से अधिक तीर्थयात्रियों को निकाला गया लेकिन बावजूद इसके अभी भी वहां लगभग 1,000 भारतीय तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। इस बात की जानकारी नेपाल में स्थित भारतीय दूतावास ने दी। बता दें कि तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर से लौट रहे थे और भारी बारिश के कारण पहाड़ी इलाके में फंस गए। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने फंसे हुए यात्रियों को बचाने के लिए बचाव अभियान को और तेज कर दिया है।

10 कमर्शियल फ्लाइट्स से करीब 143 तीर्थयात्रियों को पहुंचाया गया नेपालगंज
भारतीय दूतावास ने गुरुवार को एक ट्वीट कर बताया, '5 जुलाई की सुबह 10 कमर्शियल फ्लाइट्स से करीब 143 तीर्थयात्रियों को सिमिकोट से नेपालगंज तक ले जाया गया।' भारत के आधिकारिक हेडकाउंट दूतावास के मुताबिक, सिमिकोट में अभी 643 लोग और हिल्सा में 350 लोग फंसे हुए हैं। हालांकि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। जिला पुलिस कार्यालय के अनुसार, सैकड़ों लोग अभी भी सिमिकोट से निकलने के लिए अपनी फ्लाइट्स का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि बुनियादी संरचना के लिहाज से हिलसा और सिमिकोट बेहद कमजोर हैं। यहाँ संचार और चिकित्सा की सुविधाएं बहुत खराब है।

1500 से अधिक भारतीय तीर्थयात्री थे फंसे
गौरतलब है कि मंगलवार को तिब्बत सीमा पर स्थित हिलसा में भारी बारिश के कारण कैलाश मानसरोवर से लौट रहे 1500 से अधिक भारतीय तीर्थयात्री फंस गए। इनमें से बुधवार को सिमिकोट से 336 और हिलसा से करीब 250 लोगों को हेलिकॉप्टर और अन्य साधनों से निकाल लिया गया। सिमिकोट से भारतीयों को नेपालगंज पहुंचाया गया। अब कुल मिलाकर हिलसा में 350 और सिमिकोट में 643 लोग फंसे हुए हैं।

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