-जानलेवा वायरस को लेकर स्वास्थ्य महकमा का अब तक नहीं गया ध्यान

-एयरपोर्ट, रेलवे व रोडवेज बस स्टेशन पर जांच किट उपलब्ध नहीं

-न ही स्वास्थ्य महकमे की ओर से जारी किया गया कोई एलर्ट

-शहर के काफी लोग केरल से हैं जुड़े, टूरिस्ट्स का लगा रहता है हर रोज आना जाना

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रामापुरा एरिया निवासी सुधींद्र की बेटी सुभाषिनी केरल में नर्सिग कोर्स की ट्रेनिंग ले रही है। लेकिन वहां हाहाकार मचाए 'नेपाह' वायरस ने सुधींद्र सहित परिवार को चिंतित कर दिया है। बेटी से हर घड़ी मोबाइल पर बातचीत करके कुशलक्षेम पूछ रहे हैं, कुछ दिन के लिए बनारस आने की सलाह भी दे रहे हैं।

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केरल में फैले नेपाह वायरस की खबर जैसे ही बीएचयू की स्टाफ जान्हवी को हुई तो उनकी भी सांस ऊपर-नीचे होने लगी। उनकी बेटी केरल के एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रही है। चिंतित जान्हवी अपनी बेटी अनामिका को बनारस बुलाने की तैयारी में हैं।

ये दो केस यह बताने के लिए काफी हैं कि केरल में फैले 'नेपाह' वायरस ने काशी वासियों की भी नींद उड़ा दी है। जानलेवा नेपाह वायरस से अब तक दर्जनों लोगों की हो चुकी मौत ने यहां भी सभी को हिलाकर रख दिया है। संक्रमित मरीज के उपचार के दौरान वायरस की जद में आई केरल की नर्स लिनी के मौत की खबर ने तो बनारस में कुछ पेरेंट्स को विचलित कर दिया है। न्यूज चैनल्स पर नेपाह की खबर जैसे ही सुर्खियां बनी तो बैचेनी और बढ़ गई। शहर के विभिन्न एरिया में रह रहे लोगों के बच्चे केरल में नर्सिग की शिक्षा ले रहे हैं तो कुछ प्राइवेट कंपनियों में जॉब कर रहे हैं। यह दीगर है कि डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन का अभी इस ओर कोई ध्यान नहीं है। न तो एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन सहित रोडवेज बस स्टेशन पर कोई जांच किट टीम उपलब्ध कराई गई है और न ही स्वास्थ्य महकमे की ओर से कोई एलर्ट जारी किया गया है। जबकि बनारस के काफी लोग केरल से जुड़े हुए हैं। हर मंथ केरल से बनारस आने जाने वालों का सिलसिला लगा रहता है।

टूरिस्ट्स में अधिक केरल के वासी

बनारस सहित चारों धाम की यात्रा पर निकलने वाले ग्रुप में सबसे अधिक केरल के लोग होते हैं। हर दूसरे तीसरे दिन केरल का एक ग्रुप बनारस में स्टे करता है। मंदिरों में दर्शन पूजन करने से लेकर गंगा घाटों तक की आभा निहारने वाले केरल के टूरिस्ट्स का फ्लो इधर बीच काशी में बढ़ा भी है। केरल से आने वाले टूरिस्ट्स की जांच के लिए डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कोई अरेंजमेंट नहीं किया गया है। गेस्ट हाउसेज से लेकर लाज में आसानी से स्टे कर रहे हैं।

कितना खतरनाक है नेपाह?

नेपाह वायरस इतना खतरनाक है कि इलाज करने वाले डॉक्टर्स भी संक्रमित हो जा रहे हैं। केरल की जिस नर्स की मौत हुई वह नेपाह से पीडि़त तीन मरीजों का उपचार कर रही थी। इन मरीजों की जद में आने से नर्स की मौत हुई। केरल में नेपाह से पीडि़त लोगों का केस लेने के लिए कोई चिकित्सक जल्द तैयार नहीं हो रहा है।

कैसे पड़ा नाम नेपाह?

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक साल 1998 में मलेशिया में पहली बार निपाह वायरस का पता लगाया गया था। मलेशिया के सुंगई निपाह गांव के लोग सबसे पहले इस वायरस से संक्रमित हुए थे। इस गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा। उस दौरान ऐसे किसान इससे संक्रमित हुए थे जो सुअर पालन करते थे। मलेशिया मामले की रिपोर्ट के मुताबिक पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े से भी इंफेक्शन फैलने के केस सामने आए थे। यह चमगादड़ से फैलता है।

मई माह में फैलता है यह वायरस

एक रिपोर्ट के अनुसार नेपाह का इंफेक्शन सबसे ज्यादा मई व दिसंबर में होता है। इंडिया में पहली बार 2001 और 2007 में निपाह वायरस का संक्रमण वेस्ट बंगाल के सिलीगुड़ी व उन एरिया के लोगों में हुआ था जो बांग्लादेश के बॉर्डर एरिया के करीब रहते थे।

नेपाह वायरस को लेकर अभी तक कोई निर्देश नहीं मिला है। वैसे भी ऐसे वायरस की जांच के लिए अपने यहां किट भी नहीं है।

डॉ। मनीषा सिंह, एडी हेल्थ

एक नजर

-बाबतपुर एयरपोर्ट पर नहीं है कोई मेडिकल टीम व किट

-सिटी के रेलवे स्टेशन पर भी नहीं है कोई ऐसी सुविधा

-डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन सहित हेल्थ डिपार्टमेंट को नहीं आया कोई एलर्ट

-शहर में हर मंथ केरल से तीन से चार हजार सैलानियों व श्रद्धालुओं का पहुंचता है जत्था