हॉस्टल पर कब्जे में यूनिवर्सिटी प्रशासन से मिला है आरोप पत्र

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव ने हास्टल में कब्जा मामले में गुरुवार शाम तक विवि प्रशासन को अपना कोई जवाब नहीं भेजा. यह जानकारी विवि के चीफ प्रॉक्टर प्रो. आरएस दुबे ने दी है. उन्होंने बताया कि छात्रसंघ अध्यक्ष को 25 अप्रैल को खुद उपस्थित होकर लिखित रूप में जवाब दाखिल करने को कहा गया था. बीते शनिवार को हालैंड हाल में पुलिस बल की कार्रवाई के दौरान उन्हें प्राचार्य के कक्ष में रहते हुए पाया गया था.

चीफ प्रॉक्टर ने दी थी नोटिस

उन्हें चीफ प्रॉक्टर प्रो. राम सेवक दुबे की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी की गई थी. जिसमें कहा गया था कि जांच में पता चला कि उदय ने डॉ. ताराचंद छात्रावास में भी कक्ष आवंटित कराया है. उन्होंने एक ही समय में दो छात्रावासों में दो कमरे आवंटित कराए. विवि प्रशासन ने इसे छात्रावास नियमावली के विरुद्ध बताया था. नोटिस के बाद छात्रसंघ अध्यक्ष का कहना था कि उन्हें जितने अंक मिले, उतने में ताराचन्द मिलना ही नहीं चाहिए था. उन्होंने ताराचन्द में लगाए गए उनके दस्तावेज को ही फर्जी बताया था.

22 अप्रैल तक दिया था समय

इविवि के महामंत्री शिवम सिंह ने दूसरे कारण बताओ नोटिस के बाद चीफ प्रॉक्टर से 02 मई तक जवाब देने का समय फोन पर मांगा है. पहली नोटिस के बाद उनसे 31 मार्च तक लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया और दूसरी नोटिस के बाद 22 अप्रैल तक का समय दिया गया था. यह दोनो समयावधि समाप्त हो चुकी है. बता दें कि विवि ने 13 मार्च को शिवम की कक्षा का नामांकन निरस्त कर दिया गया था. उनपर यह कार्रवाई इविवि छात्र अनुशासन संहिता और इविवि छात्रसंघ चुनाव संहिता विनियम 2012 का उल्लंघन किए जाने के कारण की गई थी.

15 मई तक लगा है कैम्पस में बैन

शिवम को भेजे निलंबन आदेश में कहा गया था कि उनका विवि की स्नातक परीक्षाओं के दौरान 15 मई तक कैम्पस में प्रवेश बैन किया जाता है. इसके अलावा शिवम को डॉ. ताराचन्द छात्रावास में अवैध कब्जेदार होने के कारण छात्रावास के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया था. उनसे पूछा गया था कि क्यों न उन्हें निष्कासित किया जाए और छात्रसंघ चुनाव में अपात्र होने के कारण चुनावी पात्रता शून्य करने की संस्तुति की जाए. उनपर तथ्यों को छुपाकर छात्रसंघ चुनाव 2018 में लड़ने का आरोप है. नोटिस के बाद शिवम का कहना था कि अगर मेरा नामांकन दोषपूर्ण था तो जब मैने चुनाव लड़ा. उस समय स्क्रीनिंग कमेटी ने इस बात को क्यों नहीं परखा?