RANCHI: सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में आता है कि यहां पर सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। लेकिन हॉस्पिटल में जाते ही लोगों की सोच बदल जाती है। क्योंकि सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में जेनरल हॉस्पिटल की भी सुविधाएं मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए बनाए गए छह काउंटरों में से चार बंद पड़े हैं। ऐसे में दो काउंटरों से ही मरीजों की पर्ची काटी जा रही है। इस वजह से काउंटर के बाहर मरीजों की लाईन लगी रहती है। वहीं पर्ची कटाने के बाद डॉक्टर से दिखाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके बावजूद हॉस्पिटल प्रबंधन सभी काउंटरों को चालू कराने में विफल है।

पैथोलॉजी का एक काउंटर

सदर में इलाज के लिए हर दिन 600 से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं। जहां मरीजों को डॉक्टर टेस्ट कराने के लिए लिखते हैं। लेकिन, पर्ची कटाने में ही पूरा दिन निकल जाता है। क्योंकि इतने बड़े हॉस्पिटल में पैथोलॉजी की पर्ची कटाने को एक ही काउंटर चालू किया गया है। ऐसे में जबतक मरीज पर्ची कटाकर पहुंचते है तब तक सैंपल कलेक्ट करने का काम बंद हो चुका होता है। इसके बाद मरीजों को टेस्ट के लिए दूसरे दिन बुलाया जाता है।

इमरजेंसी में पर्ची काउंटर नहीं

हॉस्पिटल में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का रजिस्ट्रेशन के बाद इलाज शुरू किया जाता है। लेकिन सुपरस्पेशियलिटी में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के लिए भी रजिस्ट्रेशन काउंटर नहीं है। ऐसे में गंभीर मरीजों के परिजनों को भी पर्ची कटाने के लिए जेनरल लाइन में अपनी बारी का इंतजार करना होता है। चूंकि महिलाओं और पुरुषों के लिए एक-एक काउंटर ही चालू किया गया है। वहीं बच्चों के लिए बनाए गए रजिस्ट्रेशन काउंटर को आजतक चालू ही नहीं किया जा सका है। इतना ही नहीं, तीन बजे के बाद आने वाले मरीजों के लिए एक ही रजिस्ट्रेशन काउंटर चालू होता है।

वर्जन

हमारे पास मैनपावर की कमी है। इसके लिए सरकार को पत्र लिखा गया है। जैसे ही मैनपावर मिलेगा तो हॉस्पिटल में व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी। फिलहाल हमारे पास जो संसाधन है उसी से काम कर रहे हैं। इसलिए मरीजों को थोड़ी परेशानी तो होती है।

डॉ। एके झा, डीएस, सदर