जमशेदपुर: स्टील सिटी की बिल्डिंगों में चल रहे कोचिंग कभी भी आपके अपनों के लिए जानलेवा हो सकते हैं. शहर में कोचिंग संस्थानों के हब कहे जाने वाले आम बगान में एक-एक कमरे में बिना फायर सेफ्टी के ही कोचिंग चल रहे हैं. यहां न लाइट की प्रॉपर व्यवस्था है और न बाहर निकलने का दूसरा कोई रास्ता. ऐसे में किसी अनहोनी की स्थिति में स्टूडेंट्स का बाहर निकल पाना आसान नहीं है. बताते चलें कि शुक्रवार को गुजरात की हीरा नगरी सूरत में एक चार मंजिला इमारत के चौथे तल्ले में चल रही कोचिंग में आग लगने से 18 स्टूडेंट्स समेत 20 लोगों की जलकर मौत हो गई. जबकि कोचिंग के अन्य 30 स्टूडेंट्स व स्टाफ्स ने आग में जिंदा जलने के भय से फोर्थ फ्लोर से नीचे छलांग लगा दी.

साकची-बिष्टुपुर में कई कोचिंग

शहर के साकची और बिष्टुपुर एरिया में केजी क्लास से मैट्रिक, इंटरमीडिएट और बीकाम-बीएससी की क्लासेज चल रही हैं. साथ ही छात्र कंप्यूटर, फैशन डिजाइनिंग, सीए, सीएस, आईआईटी, नीट, बैक रेलवे, एसएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स भी आते हैं. लेकिन यहां उनकी सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है. ऐसे में अनहोनी के बाद पश्चाताप के अलावा कुछ नहीं बचेगा.

बगैर एनओसी चल रहे संस्थान

गोलमुरी फायर बिग्रेड के प्रभारी गोपाल यादव ने बताया कि शहर में बिना एनओसी के ही बिल्डिंगों में कोचिंग संस्थान चल रहे हैं. विभाग की ओर से आदेश न होने के कारण अधिकारी यहां फायर सेफ्टी के संसाधनों को चेक नहीं कर पाते हैं नतीजन, शहर में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं. उन्होंने बताया कि बिल्डिंग के निर्माण के बाद फायर विभाग से एनओसी अनिवार्य होता है, लेकिन शहर में बिना एनओसी के ही संस्थान चल रहे हैं. शहर के लोगों को खुद की सुरक्षा के बारे में विचार करना चाहिए, जहां विलासिता में लाखों रुपए लोग फूंक रहे है, लेकिन फायर सेफ्टी पर खर्च नहीं करते.

आगे आएं पेरेंट्स

सूरत जैसी घटना शहर में न हो इसके लिए अभिभावकों को महत्वपूर्ण रोल अदा करना होगा. जहां हम विलासिता और फैशन में लाखों रुपए खर्च कर देते है वहां पर सुरक्षा के नाम पर खर्च करने में परहेज क्यों. जबकि इसका सीधा लाभ आपके अपने लोगों को होता है. बच्चों के अभिभावक ध्यान दें कि बच्चों को ओवर लोड वाहनों में न भेजें. जिस स्कूल-कॉलेज और कोचिंग में आपके बेटा या बेटी पढ़ते हों वहां की सुविधाओं और व्यवस्था का जायजा लें. सेफ्टी का पालन न करने पर कोचिंग संचालक को बताएं कि आप इसकी व्यवस्था करा लें वरना हम अपने बच्चे को आपके यहां नहीं पढ़ाएंगे.

फायर हाइड्रेंट प्वाइंट भी नदारद

शहर की इक्का-दुक्का बिल्डिंगों में ही फायर हाइड्रेंट प्वाइंट की भी सुविधा हैं. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसके बावजूद प्रदेश में ही फायर सेफ्टी को लेकर कोई खास नियम न होने से ही यह हालत हैं. इससे संस्थान फायर सेफ्टी के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में अग्निशमन यंत्र और हाइड्रेंट के भरोसे बिल्डिंगों की सुरक्षा की जा रही हैं.

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सिटी में फायर सेफ्टी की व्यवस्था

गोलमुरी फायर स्टेशन : फायर ब्रिगेड की 3 गाडि़यां

मानगो फायर स्टेशन : फायर ब्रिगेड की 2 गाडि़यां

बहरागोड़ा फायर स्टेशन : फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी

टाटा स्टील फायर स्टेशन :फायर ब्रिगेड की 2 गाडि़यां

टाटा मोटर फायर स्टेशन :फायर ब्रिगेड की 2 गाडि़यां

वर्जन

शहरी क्षेत्र में फायर सेफ्टी की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. प्रदेश में फायर सेफ्टी का कठोर कानून न होने से शहर में इसका पालन नहीं हो पा रहा हैं. विभागीय अधिकारियों को किसी भी संस्थान में जाकर फायर सेफ्टी इक्विपमेंट्स की जांच करने के आदेश नहीं हैं. इसके चलते इस तरह की घटनाएं होती हैं. आम जन को फायर सेफ्टी के प्रति जागरूक होने की जरूरत है.

-गोपाल यादव, प्रभारी इंस्पेक्टर, फायर स्टेशन गोलमुरी