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PRAYAGRAJ : सिर्फ एक ट्वीट या मैसेज पर चलती ट्रेन में फ्री में ट्रीटमेंट पाने वाले पैसेंजर्स को अब इसकी फीस चुकानी होगी। मामूली बीमारी पर भी डॉक्टर्स को कॉल कर लिए जाने की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए रेलवे ने पूर्व में लागू की गयी व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। इस सुविधा का मिस यूज करने की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए रेलव ने तय किया है कि ट्रीटमेंट अब भी चलती ट्रेन में मिलेगा लेकिन पेशेंट या उनके परिजनों को डॉक्टर को कंसल्टेंसी फीस चुकानी होगी।

हजारों की बचाई जा चुकी है जान

पैसेंजर्स की अक्सर शिकायत रहती थी कि सफर के दौरान अचानक तबियत खराब होने पर मेडिकल सहायता नहीं मिल पाती है। इस शिकायत को पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने गंभीरता से लिया और एक ट्वीट पर पैसेंजर्स को अटेंड करने के लिए मेडिकल हेल्प उपलब्ध कराने की शुरुआत की। 'सर, आई एम ट्रेवलिंग इन ट्रेन 20801। माई सन 7 इयर ओल्ड इस हैविंग फीवर, प्लीज अरेंज फॉर मेडिकल असिस्टेंस इन टे्रन।।।Ó इस तरह के मैसेज ट्विटर पर आते ही पैसेंजर्स को आज भी मेडिकल फेसेलिटी अवेलेबल कराई जा रही है। इससे ट्रेनों में सफर करने वाले हजारों पैसेंजर्स की जान बचाई जा चुकी है।

पेट दर्द में भी लोग बुलाने लगे डॉक्टर

मेडिकल ट्रीटमेंट की सुविधा ट्रेन में या फिर स्टेशन पर टे्रन रोक कर दी गई। रेलवे की इस सुविधा का मिसयूज भी शुरू हो गया है। छोटी-छोटी दिक्कत के लिए भी मेडिकल सुविधा मांगी जा रही है। हाथ-पांव में दर्द होने जैसी तकलीफों के लिए भी डॉक्टर की मदद मांगी जा रही है। इससे तंग आकर रेलवे ने पुरानी व्यवस्था को बदलने का फैसला लिया है।

ईएफटी बुक पर कटेगी रसीद

स्टेशन अधिकारियों के मुताबिक यात्रा के दौरान उपचार की सुविधा या डॉक्टर की सहायता लेने वाले पैसेंजर्स को 100 रुपये पे करने होंगे। इसकी रसीद भी पैसेंजर्स को दी जाएगी। इसके लिए टीटीई अपनी ईएफटी (एक्सेज फेयर टिकट) बुक से रसीद काटकर मरीजों को देंगे।

फीस वसूली का जारी किया आदेश

- ट्रेन में सफर करने वाले पैसेंजर्स को मेडिकल सुविधा अवेलेबल कराने के लिए रेलवे ने नया रूल बनाया है।

- चलती ट्रेन में पहले की तरह आगे भी डॉक्टर्स पैसेंजर्स का ट्रीटमेंट करेंगे

- अब डॉक्टर को बुलाने के लिए पैसेंजर्स को 100 रुपये देने होंगे।

- रेलवे बोर्ड ने इस नई व्यवस्था को लागू करने का आदेश सभी जोन को दिया है।

- ट्रीटमेंट के नाम पर रेलवे में पहले 20 रुपये प्रति मरीज फीस निर्धारित थी।

- यह राशि बहुत कम थी। रेलवे डॉक्टर भी इसे नहीं लेते थे। इसके लिए उन्हें कोई रसीद भी नहीं मिलती थी।

- ट्विटर पर शिकायत के बाद रेलवे डॉक्टर अस्पताल में ओपीडी छोड़कर स्टेशन पर ट्रेन आने का इंतजार करते थे

- इससे अस्पताल में मरीजों को इलाज में दिक्कतें आती थी।

एक ट्वीट पर चलती ट्रेन में मेडिकल फेसेलिटी आगे भी जारी रहेगी। फ्रॉड कॉल्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए फीस लगाने का प्रावधान किया जा रहा है।

अमित मालवीय पीआरओ, एनसीआर

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