कंप्यूटर और टेलीफोन के मामले में झारखंड के पीएचसी हैं देश में सबसे पीछे

-इलेक्ट्रिसिटी और वाटर सप्लाई में भी सबसे निचला है स्थान

JAMSHEDPUR : देश में एक तरफ जहां डिजिटल इंडिया की पहल हो रही है। आईटी के इस्तेमाल से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बेहतर हेल्थ सर्विसेज पहुंचाने की बातें हो रही हैं, लेकिन फिलहाल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है। हाल ही में आए रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स ख्0क्ब् के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में सिर्फ तीन प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स में कंप्यूटर्स हैं। कंप्यूटर्स तो दूर की बात स्टेट के भ्0 परसेंट से ज्यादा प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स में रेग्यूलर वाटर सप्लाई तक नहीं है।

मुिश्कल है राह

हेल्थ सेक्टर के मामले में डिजिटल इंडिया का सपना पूरा करने की राह में कई मुश्किलें नजर आ रही हैं। बात झारखंड की करें, तो अड़चने और भी ज्यादा दिखाई देती हैं। स्टेट में गवर्नमेंट हेल्थ सर्विसेज आईटी के इस्तेमाल के मामले में देश में सबसे पीछे है। रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स ख्0क्ब् के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के सिर्फ 0.9 परसेंट प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स में कंप्यूटर्स हैं, जो कि देश में सबसे कम है। स्टेट के फ्फ्0 पीएचसी में सिर्फ तीन कंप्यूटर्स हैं। इस मामले में पड़ोसी राज्य बिहार भी झारखंड से काफी आगे है। यहां ख्म्.फ् परसेंट पीएचसी में कंप्यूटर्स की सुविधा है। ज्यादातर पीएचसी में टेलीफोन तक की सुविधा मौजूद नहीं है। स्टेट के सिर्फ ख्ख् पीएचसी में टेलीफोन की सुविधा है, जो कुल पीएचसी का महज म्.7 परसेंट है। नेशनल लेवल पर पीएचसी में कंप्यूटर का परसेंटेज भ्ब्.9 टेलीफोन का परसेंटेज भ्ख्.म् है। ऐसे में अगर इससे झारखंड की तुलना करें, तो राज्य काफी पीछे नजर आता है।

बिजली, पानी की भी है कमी

झारखंड के गवर्नमेंट हेल्थ सेंटर्स में बिजली, पानी की भी कमी है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य के फ्9भ्8 सब सेंटर्स में ख्7क्ख् बिना रेग्यूलर वाटर सप्लाई के हैं, वही 80.7 परसेंट सब सेंटर्स में इलेक्ट्रिक सप्लाई की सुविधा नहीं है। बात प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स की करें, तो यहां भी यही स्थिति नजर आती है। स्टेट के फ्फ्0 पीएचसी में ब्ख्.क् परसेंट बिना इलेक्ट्रिक सप्लाई के हैं, वहीं भ्ब्.भ् परसेंट पीएचसी में रेग्यूलर वाटर सप्लाई की व्यवस्था नहीं है।