RANCHI: आजादी के सात दशक बाद भी राजधानी रांची में लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं। इनके साथ ईव टीजिंग व रेप की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। रांची के बेड़ो, सिल्ली, अनगड़ा, तुपुदाना, कोतवाली, सुखदेवनगर, पंडरा, रातू, बरियातू, गोंदा, कांके, जगन्नाथपुर हर थाना क्षेत्र में इनकी अस्मत लुट रही है। रांची पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी ऐसे मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। पुलिस ने लड़कियों की सुरक्षा के लिए बेशक हेल्पलाइन शुरू की है, फिर भी लड़कियां खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सिटी की लड़कियों को खौफ से आजादी कब मिलेगी?

चौक-चौराहों पर छेड़खानी

शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर भी लड़कियां खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। सर्कुलर रोड, पुरुलिया रोड, मेन रोड, पीस रोड में लड़कियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी सामान्य सी बात है। हालांकि, प्रशासन ने भी महिलाओं व कॉलेज जाने वाली छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कई प्रयास किये हैं, मगर सभी प्रयास बेकार साबित हो रहे हैं।

निशाने पर नाबालिग

आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि ऐसे मामलों में ज्यादातर शिकार नाबालिग बन रही हैं। हाल ही में पंडरा थाना क्षेत्र में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला सामने आया, वहीं, तुपुदाना में दो सगी बहनों के साथ दुष्कर्म जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम दिया गया। इधर, कोतवाली थाना क्षेत्र में एक युवक ने डरा धमका कर न सिर्फ नाबालिग का यौन शोषण किया, बल्कि उसे प्रेग्नेंट भी कर दिया।

छह माह में दो दर्जन रेप

पुलिस के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि छह महीने में 40 से अधिक दुष्कर्म के मामले सामने आए, तो दर्जनों मामले छेड़खानी के भी सामने आ चुके हैं। वहीं, वर्ष 2017 में जनवरी से लेकर जुलाई तक रांची व आसपास के क्षेत्रों में नाबालिग और बालिग से दुष्कर्म के दो दर्जन से अधिक मामले विभिन्न थानों में दर्ज हो चुके हैं। इनमें छेड़छाड़ के मामले दुष्कर्म की अपेक्षा दोगुने पाए गए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रांची में लड़कियां कितनी सुरक्षित हैं।

रांची पुलिस का शक्ति ऐप हुआ फेल

लड़कियों की सुरक्षा के लिए रांची पुलिस ने शक्ति ऐप बनाया है। यह ऐप आज खुद ही शक्तिहीन हो चुका है। हालात ऐसे हैं कि कई दिनों तक शक्ति ऐप की घंटियां तक नहीं बजती है। महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर झारखंड पुलिस ने इस ऐप को लॉन्च किया था। वहीं, जागरूकता के अभाव में राज्य में शक्ति ऐप को अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा है। इस ऐप पर बहुत कम शिकायत ही दर्ज होती है। इसका मुख्य कारण ये है कि शक्ति ऐप का ऑपरेटिंग सिस्टम इतना पेंचीदा है कि कई बार जरूरत पड़ने पर इस ऐप पर शिकायत की जगह घर में कॉल करना लड़कियां बेहतर पसंद करती हैं। वहीं इसके बारे में लड़कियों में जानकारी भी कम है।

ऐप से अनजान हैं युवतियां

सुरक्षा के लिए शुरू हुए शक्ति ऐप से युवतियां अनजान हैं। राजधानी रांची में महिलाएं और युवतियां शहर में खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें और छेड़छाड़ की घटनाओं से खुद को बचा सकें इसलिए झारखंड पुलिस ने शक्ति ऐप को लॉन्च किया था। सबसे पहले इस ऐप को जमशेदपुर में लॉन्च किया गया था, जिसके बाद रांची में भी लॉन्च किया गया। लेकिन आज तक युवतियों, महिलाओं और छात्राओं को इस ऐप की कोई जानकारी नहीं है। उन्हें पता ही नहीं है कि उनकी सुरक्षा के लिए कोई ऐप भी तैयार किया गया है।

ऑपरेटिंग सिस्टम है पेचीदा

रांची वूमेंस कॉलेज की कुछ स्टूडेंट्स से बात करने पर उन्होंने बताया कि सबके पास स्मार्ट फोन नहीं होता। शक्ति ऐप का आपरेटिंग सिस्टम इतना पेचीदा है कि कई बार जरूरत पड़ने पर भी इस ऐप पर शिकायत के बजाय घर में कॉल करना बेहतर होता है।

महिला पुलिसकर्मी को भी पता नहीं

नाम ना छापने की शर्त पर पीसीआर पेट्रोलिंग टीम की एक महिला पुलिसकर्मी कहती हैं कि उन्हें इस शक्ति ऐप के बारे में जानकारी नहीं है। कैसे ये काम करता है, यह हमलोग भी नहीं जानते हैं। जाकर उनसे पूछिए, जो इसका इस्तेमाल करती हैं।

शक्ति ऐप कभी भी हो सकता है बंद

शक्ति ऐप को अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा है। रांची में ऐप के आने के बाद उम्मीद की गई थी कि इसका विस्तार अन्य जिलों में भी होगा। लेकिन, हालात बता रहे हैं कि अन्य शहरों को तो छोडि़ए, राजधानी में भी शक्ति ऐप कभी भी बंद हो सकता है।

शिकायत मिलते ही तत्काल होगी कार्रवाई

सिटी एसपी अमन कुमार से सीधी बात

सवाल: लड़कियों की सुरक्षा के लिए पुलिस क्या कर रही है?

जवाब: लड़कियों की सुरक्षा के लिए रांची पुलिस तत्पर है। इसके लिए विभिन्न थानों में महिला पुलिसकर्मी, पीसीआर वैन आदि की तैनाती की गई है। समय-समय पर कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों के पास पुलिस बल की भी तैनाती की जाती है।

सवाल: कुछ दिन पूर्व रांची की सड़कों पर महिला पुलिस घूमती थी। उसका क्या हुआ?

जवाब: ऐसा नहीं है। जिन-जिन स्थानों पर कॉलेज व इंस्टीट्यूट्स हैं, वहां पर महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

सवाल: कई बार देखा गया है कि पुलिस के सामने ही छेड़खानी हो जाती है?

जवाब: यदि छात्राएं कंप्लेन करें, तो उस पर निश्चित रूप से कार्रवाई होती है।