RANCHI: सदर हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को प्रबंधन रेडिएशन बांट रहा है। मरीजों का एक्सरे करने वाले टेक्निशियन भी रेडिएशन से अछूते नहीं है। इस वजह से मरीजों के अलावा उन्हें भी कई तरह की बीमारियां अपनी चपेट में ले सकती हैं। इसके बावजूद रेडिएशन से बचने के कोई उपाय सेंटर में नहीं किए गए हैं। बताते चलें कि पिछले कई सालों से सदर हॉस्पिटल में बिना सुरक्षा के ही मरीजों का एक्सरे किया जा रहा है।

न लीड की दीवारें न डार्क रूम

मरीजों को एक्सरे के लिए सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में बने एक्सरे रूम ले जाया जाता है। जहां न तो लीड की दीवारें है और न ही डार्क रूम। खुले कमरे में ही मरीजों का एक्सरे किया जाता है। वहीं रूम को अंधेरा करने के लिए खिड़कियों में पर्दे लगा दिए गए हैं। ऐसे में मरीजों के अलावा आसपास में रहने वाले लोगों को भी रेडिएशन का खतरा मंडरा रहा है।

हर दिन आते हैं 100 मरीज

ओपीडी में इलाज के लिए 600-700 मरीज आते हैं। इसमें से 100 मरीज एक्सरे के लिए एडवाइस किए जाते हैं। ऐसे में मरीजों की लाईन लगी रहती है। एक के बाद एक मरीज का एक्सरे होता है। इस दौरान मरीज भी रेडिएशन से कई तरह की बीमारियां लेकर घर जा रहे हैं।

अल्ट्रासाउंड को आती हैं गर्भवती

एक्सरे के बगल में ही अल्ट्रासाउंड के लिए भी मरीज आते हैं। इसकी दूरी महज पांच मीटर है। जहां पर अल्ट्रासाउंड के लिए प्रेग्नेंट महिलाएं आती हैं। ऐसे में रेडिएशन से उन् ापर भी खतरा मंडरा रहा है। इसके बावजूद प्रबंधन एक्सरे डिपार्टमेंट की व्यवस्था सुधारने को लेकर गंभीर नहीं है।

टेक्निशियन को नहीं मिला एप्रन

मरीजों का एक्सरे करने वाले टेक्निशियन के सिर पर भी खतरा मंडरा रहा है। जहां रेडिएशन से बचने के लिए उनके पास एप्रन भी नहीं है। जिससे कि मशीन से निकलने वाली खतरनाक रेडियो एक्टिव रेज वहां काम करने वाले टेक्निशियन को भी बीमार बना रही है। कई लोग तो गंभीर बीमारियों की चपेट में भी आ चुके हैं।

नई मशीन को चालू होने का इंतजार

सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में ही एक्सरे की नई यूनिट का उद्घाटन किया गया था। लेकिन बार्क से परमिशन नहीं मिलने के कारण मशीन को आज तक चालू नहीं किया जा सका है। इस वजह से भी मरीजों के साथ ही टेक्निशियन की जान भी खतरे में डाली जा रही है।