पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत डीएम ने 15 दिन में ट्रैकर लगाने के दिए थे आदेश
PRAYAGRAJ: जेंडर अनुपात भले ही किस स्थिति में पहुंच गया हो लेकिन अल्ट्रासाउंड सेंटर्स को इससे कोई फर्क नही पड़ता है। तभी तो उन्होंने डीएम के आदेश के बावजूद अभी तक अपने सेंटर्स में ट्रैकर नही लगवाया है। सिर्फ दस फीसदी ने ही इस आदेश का पालन किया है।
तो नही हो पाएगा एक भी परीक्षण
20 दिन पहले डीएम बीसी गोस्वामी ने अल्ट्रासाउंड सेंटर्स के साथ बैठक कर उन्हें ट्रैकर लगवाने की हिदायत दी थी।
इसे लगवाने पर कन्या भ्रणूा परीक्षण पर पूरी तरह से रोक लग सकती है।
जिले में सेक्स डिटरमिनेशन पर लगाम लगाने के लिए यह आदेश दिया गया था।
15 दिन का समय बीतने के बाद 200 में से 20 सेंटर्स ने ही यह डिवाइस लगवाई है।
बाकी ने ऐसा करने में असहमति जताई है।
क्या काम करता है ट्रैकर
इस डिवाइस की लागत 30 हजार रुपए के आसपास है।
इसे अल्ट्रासाउंड सेंटर की मशीन में इंस्टाल कर दिया जाता है।
इसके बाद रोजाना होने वाली जांचों की पूरी जानकारी इस ट्रैकर पर उपलब्ध रहेगी।
शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस ट्रैकर के माध्यम से एक-एक डिटेल प्राप्त कर सकेंगे।
अभी तक जिन जिलों में यह डिवाइस लगाई गई है वहां पर जेंडर अनुपात में सुधार देखने में आया है।
अल्ट्रासाउंड संचालकों के अपने तर्क
अल्ट्रासाउंड सेंटर्स ने ट्रैकर नही लगवाने के कारण बताते हुए जिला प्रशासन को पत्र भेजा है। जिसमें कहा गया है कि सेंटर्स में लगी मशीनों की कीमत लाखों-करोड़ों में हैं।
ट्रैकर जैसी डिवाइस लगाने से डेटा डिस्टर्बेस की प्राब्लम क्रिएट होने लगेगी।
कई अल्ट्रासाउंड मशीनों में आउटर डिवाइस लगाना एलाऊ नही होता है।
इससे वह खराब हो सकती हैं।
सजा से भी नही डरते हैं सेंटर्स
पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत गर्भ में पल रहेच्बच्चे का सेक्स परीक्षण कराना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। इससे कारावास के साथ भारी भरकम जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। फिर भी कई ऐसे सेंटर्स हैं जो इस घिनौने कृत्य से बाज नही आते हैं। इस एक्ट के समुचित प्राधिकारी होने के चलते डीएम ने खुद सेंटर्स में ट्रैकर लगाने में दिलचस्पी दिखाई है।
जो लोग ट्रैकर नही लगवा रहे हैं उनकेखिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। पीसीपीएनडीटी एक्ट के अध्यक्ष होने के नाते स्वयं डीएम ने 15 दिन के भीतर ट्रैकर लगवाने के आदेश दिए थे।
डॉ। एके तिवारी,
नोडल पीसीपीएनडीटी प्रयागराज