क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: राजधानी में पॉल्यूशन का लेवल बढ़ रहा है. नॉइज पॉल्यूशन का असर लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है. वहीं सबसे ज्यादा साउंड पाल्यूशन सिटी के दोनों बड़े हॉस्पिटलों के बाहर हो रहा है. हालांकि प्राइवेट हॉस्पिटल भी इससे अछूते नहीं है. इससे हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले मरीजों को परेशानी हो रही है. इतना ही नहीं, कई बार फेस्टिवल का समय तो मरीजों के लिए और भी दर्द देने वाला होता है जब लाउड स्पीकर की आवाज से उनकी परेशानी बढ़ जाती है. वहीं गाडि़यों का शोर तो उन्हें हर दिन परेशान कर रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि हॉस्पिटलों के आसपास साइलेंट जोन कब बनेगा?

सिटी में 49 डेसीबल रिकार्ड

रूल्स के अनुसार हॉस्पिटल और एजुकेशन इंस्टीट्यूट के आसपास 10 डेसीबल से ज्यादा नॉइज पाल्यूशन नहीं होना चाहिए. इससे अधिक होने पर आसपास के स्टूडेंट्स और मरीजों को परेशानी होने की संभावना अधिक रहती है. लेकिन शनिवार को सिटी में नॉइज पॉल्यूशन 49 डेसीबल रिकॉर्ड किया गया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में स्थिति और भी खतरनाक लेवल पर पहुंच जाएगी. हालांकि, बारिश के कारण नॉइज पाल्यूशन का लेवल भी कम है.

लाउड स्पीकर बढ़ा रहे दर्द

सिटी में अधिकतर हॉस्पिटल्स रोड के ठीक किनारे हैं. ऐसे में गाडि़यों का शोर सुबह से रात तक मरीजों को परेशान करता है. वहीं फेस्टिवल के समय तो हाई बास लाउड स्पीकर मरीजों का दर्द और बढ़ा देते हैं. इतना ही नहीं, जब विसर्जन जुलूस निकाले जाते हैं तो पास में खड़े लोगों से बात करना भी मुश्किल हो जाता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को क्या परेशानी होती होगी. वहीं धार्मिक स्थलों के लाउड स्पीकर से भी हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों को परेशानी होती है.

200 मीटर एरिया साइलेंट जोन बनाने का आदेश

हेल्थ सेक्रेटरी डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने झारखंड स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को पत्र लिखकर हॉस्पिटलों के आसपास साइलेंट जोन बनाने को कहा है. इसके तहत हॉस्पिटल के 200 मीटर के दायरे में कहीं भी लाउड स्पीकर बजाने पर रोक रहेगी. वहीं गाडि़यों के शोर पर भी लगाम लगाई जाएगी. उन्होंने कहा कि राज्य में पहले से ही लाउड स्पीकर कंट्रोल एक्ट लागू है. इसके बावजूद लाउडस्पीकर का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है. इससे एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के साथ ही हॉस्पिटलों में मरीजों को भी परेशानी होती है.

5 साल सजा और एक लाख फाइन

एनवायरमेंट प्रोटेक्शन रूल 7 और 8 के तहत साइलेंस जोन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, हॉस्पिटल और कोर्ट के लिए लागू है. जहां साउंड का लेवल 10 डेसीबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसका उल्लंघन करने पर सेक्शन 15 में 5 साल की सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है. इसके बाद भी बार-बार नियम का उल्लंघन करने पर उसे हर दिन 5 हजार रुपए जुर्माना देना होगा. इसके अलावा सजा हो जाने के बाद भी अपराध जारी है तो उसे 7 सात साल की सजा और जुर्माना हो सकती है. इंडियन पेनल कोड की धारा 268 के तहत इसे अपराध माना गया है. उल्लंघन करने पर धारा 290 में मात्र 200 रुपए फाइन लगाने का प्रावधान है.