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LUCKNOW : सहायक भर्ती परीक्षा आयोजित कराने वाला बेसिक शिक्षा विभाग ने एक बार फिर नकल रोक पाने में नाकामयाब साबित हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के परीक्षाओं की शुचिता को बरकरार रखने के तमाम सख्त निर्देशों के बावजूद परीक्षा केंद्रों के चयन में जबरदस्त लापरवाही बरती गयी। उन सेंटर्स को चुना गया जो थर्ड ग्रेड के हैं और नकल के लिए बदनाम है। इतना ही नहीं, एसटीएफ की छापेमारी में सेंटर्स में तैनात कक्ष निरीक्षकों के पास मोबाइल पाए गये जिसका वे धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे थे। गनीमत रही कि एसटीएफ नकल कराने वाले गिरोहों पर नजर बनाए हुई थी अन्यथा सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा महज एक मजाक बनकर रह जाती। अब एसटीएफ इन सभी पहलुओं को बटोर कर राज्य सरकार को इस बाबत अपनी रिपोर्ट देने की तैयारी में है।
वाट्सएप का भी इस्तेमाल
एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि परीक्षा केंद्रों में वाट्सएप का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा था। इसके जरिए ही सवालों के जवाब भी मंगाए जा रहे थे। वहीं यह भी सामने आया है कि परीक्षा में नकल की रोकथाम के लिए प्रश्न पत्र को चार सेट ए, बी, सी, डी में छपवाने का तरीका भी अब कारगर नहीं रह गया है। परीक्षा केंद्र में मोबाइल की मौजूदगी से आसानी से चारों सेट के सवालों के जवाब मंगा लिए जाते हैं। साथ ही परीक्षा कराने वाले बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की इस मामले में बरती गयी लापरवाही की भी राज्य सरकार से शिकायत की जाएगी। एसटीएफ के तमाम दिशा-निर्देशों के बावजूद उन्होंने परीक्षा में नकल को रोकने के लिए कोई पुख्ता प्रयास नहीं किए। यही वजह है कि एसटीएफ को आधा दर्जन से ज्यादा जिलों से 31 नकलचियों और सॉल्वर्स को दबोचने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
पुरानी परीक्षाएं भी आ रही जांच के दायरे में
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