-- ग्रुप बनाकर महिलाओं को करेंगी जागरूक

--महिला नसबंदी में आई कमी

--20.7 परसेंट कपल्स को परिवार नियोजन की सुविधाएं नहीं

LUCKNOW: तेजी से बढ़ती पापुलेशन को रोकने के लिए बड़ी संख्या में चलाई जा रही योजनाओं के बावजूद यूपी में तेजी से पापुलेशन बढ़ रही है। 2013-14 के मुकाबले 2014-15 में टारगेट को हासिल करने में भी गिरावट आई है। अभी भी 20.7 परसेंट कपल ऐसे हैं जो परिवार नियोजन की सुविधाएं पाने से महरूम हैं। यही नहीं परिवार नियोजन के लिए नसबंदी कराने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आई है। जिसके कारण अब विभाग शहरों में भी आशा तैनात करते सहित अन्य कई कदम उठाने जा रहा है।

अर्बन हेल्थ सेंटर्स में होगी तैनाती

प्रमुख सचिव हेल्थ अरविंद कुमार ने बताया कि प्रदेश में पापुलेशन कंट्रोल करने और सिटी में परिवारों को काउंसलिंग के लिए आशाओं की तैनाती की जाएगी। जल्द ही इसके लिए गाइडलाइंस जारी कर दी जाएंगी। अगले 6 माह के अंदर प्रदेश भर में इनको 548 अर्बन हेल्थ सेंटर्स में तैनात करना है। ये आशा महिलाओं के समूह बनाएंगी और उनकी सामूहिक काउंसलिंग भी करेंगी। उनको कंट्रोसिप्टल मेथड चूज करने में मदद करेंगी और आशा खुद ही कंट्रासेप्टिव का डिस्ट्रीब्यूशन करेंगी। सरकार की मंशा है कि कंट्रासेप्टिव पिल्स खत्म होने से पहले ही आशा के माध्यम से महिलाओं तक पहुंच सके। यही नहीं प्रदेश भर में तैनात आशाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को परिवार नियोजन के उपायों की जानकारी दे सके और उनको सुविधाएं भी दिला सकें।

महिला नसबंदी में आई कमी

परिवार कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार यूपी में 2013-14 में पुरुष नसबंदी की संख्या 7046 रही। लेकिन 2014-15 में यह संख्या 7864 के आंकड़ें तक पहुंच गई। विभाग के आंकड़ों को देख कह सकते हैं कि पुरूषों में जागरूकता आई है और संख्या भी बढ़ी है। लेकिन महिलाओं की नसबंदी में कमी आई है। 2013-14 में 3 लाख 19917 महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों में अपनी नसबंदी कराई और 2014-15 में सिर्फ दो लाख 85190 महिलाओं की नसबंदी हुई।

कंडोम का यूज बढ़ा तो कॉपर-टी का घटा

प्रदेश में महिलाओं द्वारा परिवार नियोजन के साधन में कॉपरटी के प्रयोग में काफी कमी आई है। 2013-14 में 14 लाख 84877 महिलाओं ने कॉपर-टी का इस्तेमाल किया। लेकिन 2014-15 में यह आंकड़ा सिर्फ 14 लाख 50226 पर सिमट गया।

इसके अलावा लास्ट इयर की अपेक्षा इस बार कॉपरटी की संख्या में गिरावट आई है। 2013-14 के कम्परीजन में 2014-15 में 34 हजार 651 कम कॉपर-टी का इस्तेमाल किया गया। जबकि कंडोम का इस्तेमाल बढ़ा है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार 2013-14 में 8 लाख 79 हजार 910 पुरुषों ने कंडोम को इस्तेमाल किया तो 2014-15 में यह संख्या 9 लाख 55 780 के करीब रही।

गर्भपात में हुई बढ़ोत्तरी

गर्भपात के आंकड़ों पर नजर डालें तोए सरकारी अस्पतालों में गर्भपात के मामले तेजी से बढ़े हैं। 2013-14 के मुकाबले 2014.15 में गर्भपात कराने वाली महिलाओं की संख्?या ज्यादा रही। साल 2013.14 में 68 हजार 987 महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों में अपना गर्भपात कराया। वहीं 2014.15 में यह संख्या बढ़कर 71 हजार 684 हो गई। यदि बात गर्भनिरोधक गोलियों की करें तोए महिलाओं द्वारा गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल बीते साल की अपेक्षा इस साल काफी कम किया गया। 2013.14 में 3 लाख 49 हजार 203 महिलाओं ने ही गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग किया गया। वहींए 2014.15 में गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या 3 लाख 33 हजार 299 पर ही सिमट गई। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में काफी कम था।

कंट्रासेक्टिव प्रीवलेंस रेट 59 परसेंट

विभाग के आंकड़ों के अनुसार कंट्रासेप्टिव प्रीवलेंस रेट 59 फीसदी है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के कपल 57.1 फीसदी जनता परिवार नियोजन के साधनों का प्रयोग करती है। शहरी क्षेत्रों में 65.4 फीसदी जनता परिवार नियोजन के साधनों का प्रयोग करती है। यदि प्रजनन दर की बात करें तो यूपी की वर्तमान प्रजजन दर 3.1 फीसदी है जिसमें 3.6 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों की और 2.4 फीसदी शहरी क्षेत्रों की प्रजनन दर है।

20.7 फीसदी परिवारों तक नहीं पहुंच पा रहा विभाग

निदेशक डॉ मीनू सागर ने बताया कि विभाग अभी 20.7 परसेंट कपल्स तक पहुंच नहीं पा रहा है। यह ऐसे कपल हैं जो परिवार नियोजन के साधनों को अपनाना तो चाहते हैं लेकिन विभाग उन तक नहीं पहुंच पा रहा है। जिसमें 22.3 परसेंट रूरल एरियाज और 15.1 परसेंट सिटी के हैं। विभाग अब इन्हें टारगेट करते हुए इन तक तक सुविधाएं पहुंचाने के प्रयास में है। डॉ। मीनू सागर ने बताया कि अभी प्रदेश में 1.26 करोड़ कपल कोई न कोई परिवार नियोजन का साधन प्रयोग करते हैं। 2020 तक हमें इस संख्या को दोगुना करना है।

कैम्प से कतरा रहे लोग

महिलाओं की नसबंदी में आई गिरावट के मामले में विभाग के अधिकारी मानते हैं कि छत्तीसगढ़ में नसबंदी कैम्प गलत दवा से दो दर्जन महिलाओं की मौत के कारण यूपी में भी महिलाएं डरी हुई हैं। अधिकारी भी डॉक्टर्स पर एक साथ नसबंदी का दबाव नहीं डाल रहे हैं। जिसके कारण ही महिलाओं की नसबंदी की खासी कमी आई है।

मिलेंगे ज्यादा रुपए

डायरेक्टर फैमिली वेलफेयर डॉ। मीनू सागर ने बताया कि अब महिला को नसबंदी कराने पर 1400 रुपए मिलेगा और अगर प्रसव के बाद ही कराती है तो 2200 रुपए दिए जाएंगे। वहीं पुरुषों को नसबंदी कराने पर प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 1100 से 2000 रुपए कर दिया गया है। साथ ही डॉक्टर को भी अब एक नसबंदी पर 100 रुपए और प्रसव के बाद करने पर 250 रुपए मिलेंगे। पुरूष नसबंदी करने पर भी नसबंदी करने पर डॉक्टर को प्रति व्यक्ति 250 रुपए मिलेंगे। प्राइवेट अस्पताल में भी नसबंदी कराने पर 1000 रुपए मिलेंगे और अस्पताल को 3000 रुपए प्रति व्यक्ति मिलेंगे। सरकारी और प्राइवेट हर जगह नि:शुल्क नसबंदी हो सकेगी।