- कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर लग चुके हैं कूड़े के पहाड़

- अन्डर ग्राउंड वाटर हो रहा प्रदूषित

- नगर निगम ने तैयार किया 27.35 करोड़ का एस्टीमेट

- बढ़ाई जाएगी हरियाली

आगरा। कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर क्लोजर कैपिंग से कूड़े का निस्तारण किया जाएगा। इसके लिए 27.35 करोड़ का एस्टीमेट तैयार किया गया है। केमीकल से कूड़े का निस्तारण किया जाएगा। कूड़े निस्तारण को वेस्ट -टू-एनर्जी प्लांट तो अधर में पड़ा हुआ है। इसको नीरी से तो मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सहमति का इंतजार किया जा रहा है। जो अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। अब नगर निगम दूसरे तरीके से कूड़े का निस्तारण करना चाहता है। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।

कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर लगे हैं कूड़े के पहाड़

कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ लगे हुए हैं। इसके चलते अन्डरग्राउंड वाटर प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषण में तो इजाफा हो ही रहा है। बता दें कि शहर मे हर रोज 750-800 मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन निकलता है, जबकि लैंडफिल साइट पर 15-20 मीटि्रंक टन कूड़े का ही निस्तारण हो पाता है। नगर निगम के अफसरों की मानें तो 100 वार्डो में से जो कूड़ा कलैक्शन किया जाता है। उसे प्रोसेसिंग प्लांट कुबेरपुर भेजा जाता है। कुबेरपुर में 20 एमटीडी का प्लांट कार्यरत है। इससे रोजाना गीले कूड़े से 3.5 एमटीडी मीट्रिक टन पर-डे कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है। वहीं दूसरा प्लांट जो राजनगर में कार्यरत है। उससे से फूलों से प्रतिदिन 0.3 एमटीडी कंपोस्ट तैयार किया जाता है।

तकरीबन दो वर्ष पहले कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट लगाया गया था। नगर निगम के अफसरों के अनुसार इस प्लांट से हर रोज 500 मीट्रिक टन कूड़े से 10 मेगावाट बिजली बनाने की योजना थी। इसका ठेका स्पाक वर्जन कंपनी को दिया गया था, लेकिन टीटीजेड में इसको अनुमति प्राप्त नहीं हो सकी। इस बारे में पर्यावरण अभियंता राजीव राठी ने बताया कि अभी अनुमति नहीं मिली है।

कुबेरपुर 60 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 16 एकड़ जमीन पर साढ़े नौ लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा फैला हुआ। कंपनी को एक वर्ष में कैपिंग करनी है। इसे 20 वर्षो तक मेंटीनेंस भी करना होगा।

लगाई जाएगी ग्रीनरी

कंपनी कचरे के डपिंग के स्थान पर ग्रीनरी लगाएगी। इसमें यहां पौधारोपण के अलावा घास भी रोपी जाएगी। इसमें नगर निगम कचरे की रिलोकेशन कटिंग पर 1073 लाख, हॉर्टीकल्चर पर 100.82 लाख, फेसिंग वर्क पर 06.40 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे।