-स्कूल में खिलाडि़यों के लिए मिलेगी कोच की फैसिलिटी

-मिनिमम 25 स्टूडेंट्स होना है जरूरी, नॉमिनल फीस देने पर मिलेगी क्वालिटी ट्रेनिंग

GORAKHPUR: टैलेंट की कमी कहीं नहीं है, बस प्रॉपर गाइडेंस न मिल पाने की वजह से वह टैलेंट सामने नहीं आ पाता। मगर अब ऐसा न हो इसके लिए जिम्मेदारों ने सोचना शुरू किया है। इसके तहत अब बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में टैलेंट तराशने का काम किया जाएगा। खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक नायाब पहल की है। इसके तहत स्पो‌र्ट्स डायरेक्ट्रेट स्कूल्स में स्टूडेंट्स को उनके फेवरेट गेम्स की ट्रेनिंग देगी। इसको अमलीजामा पहनाने के लिए स्कूलों को कोचेज मुहैया कराए जाएंगे, जो स्टूडेंट्स के टैलेंट को उनके स्कूल में ही पहुंचकर निखारेंगे। इसके लिए स्कूल से कॉन्टैक्ट ि1कया जाएगा।

ताकि इंडिया में बरसे गोल्ड

देश के खिलाड़ी अपनी मेहनत और लगन के जरिए इंडिया के खाते में मेडल्स की बरसात कर रहे हैं। मगर इनकी तादाद लिमिटेड होने की वजह से ओलंपिक में इंडिया की पोजीशन दुनिया में उस लेवल पर नहीं पहुंच पाती, जहां उन्हें होना चाहिए। बेहतरीन परफॉर्मेस के बाद भी टीम एक्का-दुक्का मेडल लेकर वापस लौट आती है। इसको देखते हुए जिम्मेदारों की निगाह इस पर है कि सबसे पहले सभी खेलों में खिलाडि़यों की तादाद बढ़ सके। इसके लिए खेल विभाग प्रदेश भर के जिलों में मौजूद स्कूलों में अपने प्रशिक्षक देने की योजना तैयार की है।

मिनिमम 25 स्टूडेंट्स जरूरी

खेल विभाग अपने एक्सपर्ट ट्रेनर्स के जरिए स्कूलों में टैलेंटेड खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देगा। सभी स्टूडेंट्स का रीजनल स्टेडियम में 100 रुपए सालाना की फीस पर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। स्कूल में ट्रेनर्स भेजने के लिए एक शर्त यह भी है कि ट्रेनर्स तभी स्कूल में भेजे जाएंगे, जब स्कूल में खिलाडि़यों की तादाद कम से कम 25 से ऊपर हो। इस मामले में खेल निदेशालय सभी स्कूलों को लेटर भेजकर ट्रेनर्स की फैसिलिटी के साथ ही खेल से जुड़ी अहम जानकारियां दी जाएगी। जिन स्कूलों को ट्रेनर्स चाहिए, वह खेल विभाग से संपर्क कर ट्रेनर्स हासिल कर सकेंगे। ट्रेनर स्कूल के ग्राउंड में ही स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग देगा। साथ ही आस-पास के लोग वहां पर ट्रेनिंग के लिए आते हैं तो उनका भी दाखिल ि1लया जाएगा।

खेल निखारने में मिलेगी मदद

खेल विभाग अब तक स्टेडियम में आने वाले खिलाडि़यों को ही ट्रेनिंग देता है। इसमें वहीं शामिल हो पाते हैं, जो खुद इंटरेस्टेड हैं और उनके पास इसके लिए अलग से वक्त है। मगर स्कूल में पढ़ने वाले खिलाड़ी टाइम की कमी और पढ़ाई के बोझ तले दबकर प्रोफेशनल ट्रेनिंग से महरूम रह जाते हैं। कई मामलों में तो उन्हें इस बात की इंफॉर्मेशन भी नहीं होती है कि उनके शहर में किस तरह की फैसिलिटी मौजूद है। वहीं स्कूल्स की बात करें तो यहां प्रोफेशनल मुकाबलों के साथ ट्रेनिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं, लेकिन प्रॉपर ट्रेनर न होने की वजह से टैलेंट उभरकर सामने नहीं आ पाता। ऐसे में जो स्टूडेंट्स स्पो‌र्ट्स में अपना करियर संवारना चाहते हैं तो उन्हें मौका मिल सकेगा।

वर्जन

जब स्पो‌र्ट्स में खिलाडि़यों की तादाद बढ़ेगी, तभी बेहतर टैलेंट निकलकर सामने आएगा। अब तक सिर्फ स्टेडियम आने वाले खिलाडि़यों को ही ट्रेनिंग मिल पाती है। स्कूल के खिलाड़ी स्टेडियम के बारे में जानकारी ना होने से पिछड़ जाते हैं। जब उन्हें वहां पर एक्सपोजर मिलेगा, तो वे स्टेडियम भी आने लगेंगे। हमारी कोशिश है कि छह से 18 साल तक बच्चों को खेलों से जोड़ा जा सके।

-डॉ। आरपी सिंह, डायरेक्टर, स्पो‌र्ट्स डायरेक्ट्रेट