- ट्रैफिक समस्याओं के समाधान के लिए कॉरपोरेट सेक्टर की तरफ रुख कर रही पुलिस

- 100 से ज्यादा कर्मचारियों वाले संस्थानों में देंगे प्रेजेंटेशन

जनपद में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए अब तक सामाजिक संस्थाओं और स्कूली बच्चों तक सीमित रही यातायात पुलिस अब ऑफिस-ऑफिस जाने को तैयार है। इसके लिए कार्ययोजना बनाई गई है और ऐसे संस्थानों से संपर्क शुरू कर दिया गया है जहां 100 या इससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इन लोगों के बीच ट्रैफिक पुलिस प्रेजेंटेशन देकर यातायात के नियम, गाड़ी पार्किंग, जाम से बचने आदि के तरीके बताएगी और कर्मचारियों को जागरूक करेगी।

सबसे ज्यादा नौकरीपेशा लोग

एसपी ट्रैफिक सुरेशचंद्र रावत बताते हैं कि आईपी कैमरा के जरिए पूरे शहर की मॉनीटरिंग के दौरान यह आइडिया आया। सड़कों पर देखें तो आटो-ई रिक्शा और व्यावसायिक वाहनों के अलावा सबसे ज्यादा नौकरीपेशा लोग दिखते हैं। ये वह लोग हैं जो हर सुबह काम के लिए अपने ऑफिस, प्रतिष्ठान या फील्ड में निकलते हैं और शाम को घर लौटते हैं। जाहिर है कि ट्रैफिक जाम आदि का सबसे ज्यादा असर इन्हीं पर पड़ता है। इस समस्या के निस्तारण के लिए सीधे इन लोगों से संपर्क करने की रणनीति बनाई गई।

सबकी सुविधा का रखें ध्यान

ट्रैफिक पुलिस के प्रेजेंटेशन में नियमों के अलावा सड़क पर चलने के व्यावहारिक पक्ष को भी समझाया जाएगा। लोगों को बताया जाएगा कि अपनी सुविधा के साथ ही वह इस बात का भी ख्याल रखें कि इससे किसी दूसरे को परेशानी न हो रही हो। मसलन, मार्केटिंग के दौरान सड़क पर वाहन पार्क कर देना या दो मिनट के काम के लिए बाइक कहीं भी खड़ी कर देना। प्रेजेंटेशन में वाहन चलाते वक्त फोन पर बात करने, सीट बेल्ट न बांधने या हेलमेट न लगाने के नुकसानों और नियमों पर भी चर्चा की जाएगी।

संस्थान कर सकते हैं संपर्क

एसपी ट्रैफिक ने बताया कि ऐसी कार्यशालाओं के लिए वह संस्थान संपर्क कर सकते हैं जहां 100 से ज्यादा कर्मचारी हों। इसके अलावा सामाजिक संस्थाएं, स्कूल या किसी सोसाइटी के लोग भी 100 से ज्यादा लोगों को जुटाकर ट्रैफिक पुलिस को बुला सकते हैं। अधिकारी उनकी जगह पर जाकर प्रेजेंटेशन देंगे और उन्हें यातायात के नियमों का पालन करना सिखाएंगे।

खास-खास

- 8 लाख हैं शहर में कुल छोटे-बड़े वाहन

- 63,271 चारपहिया वाहन चल रहे शहर में

- 7,06,120 दोपहिया वाहन इस्तेमाल करते हैं मध्यम वर्ग के लोग

- 12,540 हैं माल ढुलाई करने वाले छोटे वाहन

- 5337 वाहन लगे हुए हैं ट्रैवेल एजेंसियों के काम में

- 2553 बसें भी हैं ट्रांसपोर्ट के धंधे में

- इस नंबर पर कर सकते हैं संपर्क 7317202020

बयान

आम आदमी तक पहुंचने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। शहरी लोग यातायात के नियमों का जितना पालन करेंगे, सड़क पर उनकी दुश्वारियां उतनी ही कम होती जाएंगी।

सुरेशचंद्र रावत, एसपी ट्रैफिक