RANCHI : राज्य सरकार के चौबीस घंटे बिजली देने के दावे पर पावर प्लांटों की 'दगाबाजी' भारी पड़ रही है। हालात यह है कि पूरे राज्य में गंभीर बिजली संकट का खतरा मंडरा रहा है। मंगलवार को जहां टीवीएनएल की दोनों यूनिट ठप हो गई, वहीं सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट से भी पावर प्रोडक्शन नहीं हो सकी। सिर्फ इनलैंड पावर से 51 मेगावाट और सीपीपी पावर से 17 मेगावाट बिजली उत्पादन हुआ। ऐसे में झारखंड में स्थित पावर प्लांटों से मात्र 68 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो सका, जो यहां की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी कम था। हालांकि, सेंट्रल पूल से मिली बिजली से थोड़ी राहत मिली, वरना पूरे राज्य में ब्लैकआउट की सिचुएशन पैदा हो सकती थी।

सेंट्रल पूल पर ही भरोसा

राजधानी रांची समेत पूरा राज्य फिलहाल बिजली के लिए सेंट्रल पूल पर निर्भर है। मालूम हो कि हर दिन पूरे राज्य के लिए 2100 मेगावाट बिजली चाहिए, लेकिन उस हिसाब से यहां के पावर प्लांट से उत्पादन नहीं हो रहा है। ऐसे में सेंट्रल पूल से मिल रही बिजली ही राज्य को अंधेरे में जाने से रोक रही है। अगर सेंट्रल पूल बिजली आपूर्ति में कटौती कर दे तो सिचुएशन का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

सेंट्रल पूल पर ही भरोसा

झारखंड को टीवीएनएल की दोनो यूनिट बंद हो गया। इनलैंड पावर से 51 और सीपीपी से मात्र 17 मेगावट ही बिजली का उत्पदन हुआ। से इसके अतिरिक्त बिजली के लिए वह केन्द्रीय पुल पर निर्भर हो गया है। फि लहाल झारखंड में रोजाना करीब 2100 मेगावाट के आसपास बिजली की जरूरत होती है, ऐसे में अगर केन्द्रीय पुल से ठीक से आपूर्ति नहीं हुए तो राज्य में अंधेरा हो सकता है।

पावर प्लांट्स बार-बार दे रहे धोखा

झारखंड के पावर प्लांट्स के जो हालात हैं उनके भरोसे राज्य में सामान्य बिजली आपूर्ति बनाए रखना आसान नहीं है। पीटीपीएस में जहां लंबे समय से निर्माण कार्य चल रहा है, वहीं टीवीएनएल की दोनों यूनिटें भी लगातार धोखा दे रही हैं। वहीं डैम के जलस्तर में गिरावट आने से सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट से भी उत्पादन बंद होने की नौबत आ गई है। हालांकि, प्राइवेट कंपनी इनलैंड पावर से 55 मेगावाट व आधुनिक पावर से 122 मेगावाट अतिरिक्त बिजली राज्य को मिल रही है।

घंटों प्रभावित हो रही पावर सप्लाई

झारखंड के पावर प्लांटों के ठप होने का नतीजा है कि पूरे राज्य में निर्बाध बिजली आपूर्ति नहीं हो पा रही है। शहर हो या गांव, पावर कट का सिलसिला लगातार जारी है। शहरों में जहां हर दिन औसतन 12-14 घंटे ही बिजली मिल रही है, वहीं रूरल एरियाज में आठ घंटे भी बिजली मिल जाए तो लोग अपना सौभाग्य समझते हैं।

हर माह 370 करोड़ की खरीदी जाती बिजली

झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम करीब 370 करोड़ रुपये की बिजली प्रतिमाह बाजार से खरीदता है। इसकी वजह राज्य के पावर प्लांटों से क्षमता के हिसाब से बिजली उत्पादन नहीं होना है, चाहे वह टीवीएनएल हो या सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट। इसका नतीजा है कि राज्य में अक्सर बिजली संकट बना रहता है।