- सरकार ने फिर किया दावा

- सीएम बोले, सप्लायर की भूमिका की जांच का जिम्मा मुख्य सचिव को सौंपा

- तमाम बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार भी हरकत में, पीएम ने मंत्री को भेजा

- बोले योगी- मैंने खुद की दो बार समीक्षा, दोषियों को चिन्हित कर होगी सख्त कार्रवाई

LUCKNOW :

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तीस से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार हरकत में आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से बात करने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल को तत्काल गोरखपुर जाने के निर्देश दिए। वहीं सीएम ने भी सुबह चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन गोपाल को गोरखपुर जाकर हालात का जायजा लेने और रिपोर्ट पेश करने को कहा। देर शाम मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के साथ आपातकालीन बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मैंने पिछले दो महीने के दौरान दो बार खुद बीआरडी मेडिकल कॉलेज की समीक्षा की। इस दौरान मुझे किसी ने ऑक्सीजन की कमी की बात नहीं बताई। वहीं मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने मौतों का आंकड़ा पेश करते हुए दावा किया कि किसी भी बच्चे की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई।

केंद्र सरकार ने मांगी रिपोर्ट

सीएम ने बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस बाबत रिपोर्ट मांगी है। ऑक्सीजन सप्लायर की भूमिका की जांच मुख्य सचिव को सौंपी गयी है जो एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देंगे। उसे सप्लाई का काम वर्ष 2014 में सौंपा गया था। इस घटना से पीएम मोदी भी बेहद चिंतित हैं। उन्होंने हर तरह की मदद देने का आश्वासन भी दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी इस बारे में मुझसे बात की है। भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव और हमारे अधिकारी गोरखपुर में मौजूद हैं। डीजी चिकित्सा स्वास्थ्य गोरखपुर में कैंप करते रहेंगे। डीएम गोरखपुर से घटना की मजिस्ट्रीरियल जांच कराने के निर्देश दिए गये हैं। मैंने सरकार बनने के बाद इमरजेंसी सेवाओं को लेकर आदेश दिया था कि इससे जुड़ी कोई भी फाइल किसी अधिकारी की टेबिल पर तीन दिन से ज्यादा नहीं रहनी चाहिए। इसके लिए बजट की भी कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मीडिया से अपील की अगर सही तथ्यों को सामने रखा जाएगा तो यह मानवता की सेवा होगी।

ऑक्सीजन की कमी से मौत जघन्य कृत्य

सीएम ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत जघन्य कृत्य है। इस घटना की जांच जारी है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने खुलासा किया कि विगत नौ अगस्त को बैठक के दौरान बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने ऑक्सीजन की कमी की बात नहीं बताई थी। इसके अलावा वह बिना बताए बैठक छोड़कर चले गये थे। इसकी वजह से उन्हें निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों की मृत्यु हुई है, उनके परिजनों के साथ हमारी संवेदना है। मैं इंसेफेलाइटिस के खिलाफ 1998 से लड़ रहा हूं। मैंने ही इस लड़ाई की शुरुआत की थी। मेडिकल कॉलेज में हर जगह से बच्चे आते हैं, उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। मुफ्त में उन्हें सारी चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं।

पीएम भी हैं दुखी

वहीं योगी के साथ मौजूद केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि इस घटना से सभी दुखी हैं। पीएम मोदी ने मुझे विशेष रूप से गोरखपुर जाने को कहा। मेरे मंत्रालय द्वारा तुरंत यूपी सरकार से संपर्क साधा गया। मैंने भी सीएम योगी के साथ तीन घंटे तक विस्तार से चर्चा की है। हम यूपी सरकार को हर तरह का सहयोग देने को तैयार हैं। यूपी सरकार अपनी रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को भेजेगी। मैं खुद बीआरडी मेडिकल जाने वाली हूं।

कोई भी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं

वहीं चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने 10 और 11 अगस्त को हुई मौतों का पूरा ब्योरा पेश करते हुए कहा कि कोई भी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई। दरअसल अगस्त माह में हर साल बच्चों की मौतें होती है। वर्ष 2014 में 567 (19 रोजाना), 2015 में 668 (22 रोजाना) और 2016 में 585 (19 रोजाना) मौतें हुई हैं।

पांच अगस्त को भेज दिया था बजट

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने विगत पांच अगस्त को ही ऑक्सीजन सप्लाई का पैसा बीआरडी मेडिकल कॉलेज को भेज दिया था। इसके बावजूद प्रिंसिपल ने सप्लायर को भुगतान नहीं किया। इसकी वजह से उन्हें सस्पेंड किया गया है।