यह बात तो सभी जानते हैं कि पानी है तो जिंदगानी है। लेकिन फॉलो बहुत कम लोग करते हैं। लेकिन सोसायटी में कुछ ऐसे लोग हैं जो लोगों को अवेयर करने में जी-जान से जुटे हैं। प्रयागराज में भी ऐसे बहुत से लोग हैं। आइए आज आपको मिलवाते हैं पानी के इन प्रहरियों से

प्रहरी-1

कमलेश सिंह: पानी बचाने के लिए लगातार एक्टिव

20 साल से सक्रिय

साइकिल से चलने वाला कमलेश सिंह जब घर से निकलते हैं तो रास्ते भर पानी की बर्बादी करने वालों को टोकते चलते हैं। खुद पार्षद हैं और नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन की हर लापरवाही पर भी लगातार आवाज उठाते रहते हैं। अलोपीबाग, दारागंज में तो पानी की बर्बादी करने वाले लोग इन्हें देखते ही अलर्ट हो जाते हैं। गंगा और यमुना के जल संरक्षण को लेकर कमलेश सिंह लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं। वह वेल अवेयर और वेल इनफॉ‌र्म्ड हैं। यही वजह है कि जिम्मेदार अधिकारियों से ज्यादा उनके पास पानी से जुड़े आंकड़े हैं।

प्रहरी-2

सत्येंद्र चोपड़ा: पानी के लिए कर दी है पीआईएल

15 साल से सक्रिय

सिस्टम में रहकर सिस्टम के खिलाफ लड़ना हर किसी के वश की बात नहीं है। पुराने शहर की जान लोकनाथ चौक के पार्षद सत्येंद्र चोपड़ा ऐसे ही हैं। वह सिर्फ अपने वार्ड लोकनाथ की नहीं, बल्कि पूरे शहर की चिंता करते हैं। जेएनएनयूआरएम योजना के तहत शहर में पानी की सप्लाई व्यवस्था सुधारने का प्लान बना था। करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी हालात नहीं सुधरे। इसको लेकर पार्षद सत्येंद्र चोपड़ा ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर रखी है। उनके मुताबिक रिवर जोन कहकर योजना बनी। पुराने शहर में दो टैंक बने, जो आज तक हस्तांतरित नहीं हुए। 2014 में योजना बंद हो गई। इसके चलते जनता को आज पीने योग्य पानी नहीं मिल पा रहा है।

प्रहरी-3

सरदार पतविंदर सिंह: जल संरक्षण के लिए जागरुक

10 साल से सक्रिय

सरदार पतविंदर सिंह शहर का ऐसा नाम है, जिसे हर कोई बहुत अच्छे से जानता है। वह पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर लगातार जागरुकता अभियान चलाते रहते हैं। जब कभी मूड हुआ साइकिल उठाई, उस पर बाल्टी टांगी चल पड़े। इसके बाद वह पहुंचते हैं शहर के अलग-अलग मुहल्लों और मेन मार्केट में। यहां लोगों को पानी का मोल बताते हैं। कभी हाथ में तख्ती लेकर किसी चौराहे पर बैठ जाते हैं। तो कभी पूरे शरीर पर अवेयरनेस स्लोगन लिखकर लोगों के बीच पहुंच जाते हैं।

प्रहरी-4

सुमित श्रीवास्तव: काश हर युवा की यही सोच होती

09 साल से सक्रिय

29 वर्षीय सुमित श्रीवास्तव ग्रेजुएशन करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। साथ ही अपनी बीमार मां की सेवा में भी लगे हुए हैं। इन सब के बीच वे अपने शहर और समाज की जिम्मेदारियों को लेकर सजग हैं। घर-घर जाकर लोगों से अपील करते हैं कि वह पानी का यूज करें, लेकिन पानी बर्बाद न करें। क्योंकि जल है तो कल है। सुमित का कहना है कि वे जब लोगों को पानी बर्बाद करते हुए देखते हैं तो उन्हें समझाने पहुंच जाते हैं। जब कहीं पाइपलाइन से यूं ही पानी बहता रहता है तो उसे बंद करने का पूरा प्रयास करते हैं।