बुधवार की रात को लिया गया फैसला
इस्लामाबाद (पीटीआई)।
एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि निर्णय को रोकने के अपने राजनयिक प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने आतंकवाद को आर्थिक मदद मुहैया कराने वाले देशों की सूची 'ग्रे लिस्ट' डाल दिया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा बुधवार की रात को लिया गया, उस दौरान वित्त मंत्री शमशाद अख्तर पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करते हुए अपना पक्ष रख रहे थे।

26-सूत्रीय ऐक्शन प्लान तैयार करने का किया था वादा
बता दें कि बुधवार को पाकिस्तान ने 15 महीनों के अंदर 26-सूत्रीय ऐक्शन प्लान तैयार करने का वादा किया था। इस प्लान में यह बताया गया कि पाकिस्तान आइएसआइएस, अल कायदा, जमात-उद-दावा और उसके सहयोगियों फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआइएफ) और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद (जेएम), हक्कानी नेटवर्क और तालिबान जैसे आतंकी समूहों की फंडिंग पर कैसे रोक लगाएगा और इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाएगा।

हो सकता है बड़ा नुकसान
ग्रे सूची पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकती है। इससे पाक को काफी नुकसान हो सकता है। इससे पहले पाकिस्तान का नेतृत्व कर रहे अख्तर ने अपने देश को ग्रे सूची से हटाने के लिए एफएटीएफ से आग्रह किया था लेकिन बावजूद इसके पेरिस में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकी समूहों को फंडिंग करने वाले देशों की सूची में शामिल कर दिया।

पहले भी इस लिस्ट में रहा शामिल
गौरतलब है कि आतंकवाद को आर्थिक मदद देने के चलते पाकिस्तान 2012 से 2015 तक एफएटीएफ के 'ग्रे लिस्ट' में शामिल रह चुका है। एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में शामिल होने के बाद किसी देश को इंटरनेशनल संस्थाओं द्वारा कर्ज मिलने में काफी परेशानी होती है। इसके साथ ही मल्टीनेशनल कंपनियां भी उन देशों में निवेश करने से कतराती हैं। बता दें कि पेरिस स्थित एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी संस्था हैं और इसका गठन 1989 में धन को अवैध तरीके से एक देश से दूसरे देश भेजने, आतंकवाद को आर्थिक मदद देने और वैश्विक आर्थिक ढांचे के लिए अन्य खतरनाक तरीकों पर नजर रखने के लिए किया गया था।

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