- 5 साल से एक ही व्यक्ति को मिलता है टेंडर, कहीं कोई खेल तो नहीं

-2014 से पटना जू की पार्किंग पर चलता है बंटी का राज

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PATNA : पटना जू के दोनों गेटों पर पार्किंग का टेंडर पिछले पांच वर्ष से शशिकांत नाम के एक व्यक्ति को मिल रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है इसका जवाब जू के अधिकारियों के पास नहीं है। इस पर वे कुछ भी कहने से बच रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने लगातार तीन दिन तक टेंडर के खेल की पड़ताल की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। टेंडर भले ही शशिकांत को मिलता है लेकिन जू के आसपास बंटी भाई का नाम चलता है। ये बंटी मैनेजर के रूप में वर्ष 2014 से जू के गेट नंबर एक और दो पर वसूली कर रहा है। जबकि जू का टेंडर हर साल बदलता है। हर साल जुलाई में टेंडर की प्रक्रिया जारी होती है पर जू प्रशासन शशिकांत को ही पार्किंग का जिम्मा सौंपता है।

बस नाम के लिए टेंडर

सूत्रों का कहना है कि जू के पास पार्किंग की टेंडर प्रक्रिया बस दिखावे के लिए होती है। बंटी के ही लोग टेंडर के दौरान सक्रिय रहते हैं। ये ही अलग-अलग नाम से बोली लगाते हैं। अंत में शशिकांत ज्यादा बोली लगाकर पार्किंग का टेंडर हासिल कर लेता है। उधर, बंटी का कहना है कि वर्ष 2014 से ही मैं जू के साथ जुड़ा हुआ हूं। मेरा काम देखकर मुझे हर साल रख लिया जाता है।

जमकर होती है वसूली

जू के दोनों गेट पर पार्किंग के नाम पर वसूली होती है। जू द्वारा तय पार्किंग चार्ज से ज्यादा वसूली होती है। चार्ज वसूलने वाले इतने एक्सपर्ट हैं कि बाहर से आने वालों को पहचान जाते हैं और उनसे ज्यादा पैसा वसूलते हैं। बाइक के लिए पार्किंग चार्ज 10 रुपए तय है लेकिन बाहर से आने वाले लोगों से 20 रुपए वसूले जाते हैं।

वसूली करने पर पहले भी कई बार जुर्माना

पार्किंग के नाम वसूली करने पर जू प्रशासन ने एजेंसी पर जुर्माना भी लगाया है। नवंबर, 2018 में 10 हजार, अप्रैल, 2019 में 10 हजार और जून, 2019 में 400 रुपए जुर्माना एजेंसी पर लगाया गया है।

चल रहा कमाई का खेल

436720 रुपए की कमाई पार्किंग से होती है जू को हर महीने।

08 दुकानों को खाने-पीने की चीजें बेचने की अनुमति जू प्रशासन ने दी है।

15 से अधिक ठेले लगाए जाते हैं जू के गेट के पास।

30 रुपए वसूले जाते हैं आइसक्रीम के ठेले वालों से प्रतिदिन।

50 रुपए अन्य ठेले वालों से वसूला जाता है प्रतिदिन।

जू पार्किंग के लिए ओपन बोली लगती है। जिसकी बोली सबसे ज्यादा होती है टेंडर उसे दिया जाता है। हमें सिर्फ रेवन्यू से मतलब है। अवैध वसूली और अन्य तरह की शिकायत मिलने पर हम कंपनी पर फाइन भी लगाते हैं।

अमित कुमार, डायरेक्टर, पटना जू