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BAREILLY : अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के नर-नारायण और परशुराम जी का अवतरण भी हुआ था। ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। धर्म शास्त्र के अनुसार इस दिन सांयकाल गौधूलि बेला सांय 06:31 से रात्रि 08:41 तक में श्री परशुराम जयंती का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। इससे अधूरे व बिगड़े काम बनेंगे।  सांय कालीन तृतीया में पूजन पूर्ण रूपेण उपयुक्त रहेगा क्योंकि इसी प्रदोष बेला में भृगुकुल शिरोमणि, ब्राह्माण कुल महागौरव, ब्रह्माऋषि भगवान परशुराम (विष्णु अवतार) का जन्म हुआ था।अक्षय तृतीया आज : महासिद्धी योग में खरीदारी व राशि अनुसार करें ये खास उपाय, होगा लाभ

पूजा अर्चना

इस दिन लक्ष्मी जी सहित भगवान नारायण की पूजा की जाती है। पहले भगवान नारायण और लक्ष्मी जी की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराकर पुष्प और माल्यार्पण करना चाहिए। इस दिन सफेद पुष्पों और वस्त्रों का अत्यधिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि सफेद वस्तुओं से किया गया पूजन उत्तम फल देने वाला होता है। इसलिए महालक्ष्मी और भगवान विष्णु को सफेद कमल और सफेद गुलाब अर्पित करने चाहिए। भगवान की धूप-दीप से आरती उतारकर चन्दन लगाना चाहिए, मिश्री और भीगे चनों का भोग लगाना चाहिए। भगवान को तुलसी दल और नैवेध अर्पित कर ब्राह्मणाें को भोजन कराकर श्रद्धानुसार दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन किये गये दान का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।