-फ‌र्स्ट एसी का सफर करने वाले पैसेंजर्स भी चुरा ले गए चादर और तौलिया

-थर्ड एसी और सेकेंड एसी में भी खूब हुई है चोरी, फ‌र्स्ट एसी में भी दर्ज किए गए हैं चोरी के केस

-पैसेंजर्स की गलती की सजा भुगतते हैं कोच अटेंडेंट

Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: रेल का सफर सुहावना और काफी आरामदेह होता है। शायद यही वजह है कि लोग रोड ट्रांसपोर्ट की जगह रेलवे को ही प्रिफर करते हैं। रेलवे भी पैसेंजर्स को हर तरह की फैसिलिटी मुहैया करा रहा है, लेकिन अब फैसिलिटी अवेल करने वाले पैसेंजर्स ट्रेन में मिलने वाली सुविधाओं से ज्यादा की उम्मीदें करने लगे हैं, जिसकी वजह से उनकी आदतें बिगड़ने लगी हैं। हालत यह है कि फ‌र्स्ट क्लास एयर कंडीशन का सफर करने वाले पैसेंजर्स अब थर्ड क्लास का काम करने लगे हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि रेलवे में सफर के बाद ट्रेनों से गायब हुए छोटे-मोटे सामान के आंकड़े इस बात का साफ बयां कर रहे हैं। एसी फ‌र्स्ट का सफर करने वाले पैसेंजर्स फेस टॉवेल, बाथ टॉवेल और यहां तक कि पिलो और इसका कवर भी साथ लेकर जाने में कोई बुराई नहीं समझी है। इसकी भरपाई भी डेली वेजेज पर काम करने वाले वर्कर्स से हाे रही है।

सबसे ज्यादा बेडशीट और फेस टॉवेल गायब
इंडियन रेलवे का दायरा पूरे देश में फैला है। गोरखपुर एनई रेलवे का हेडक्वार्टर है, जिसकी वजह से यहां लोगों की खास निगाह रहती है। गोरखपुर से ओरिजिनेट होने वाली ट्रेंस के साथ ही जिन ट्रेंस में यहीं से बेडशीट, टॉवेल और दूसरी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है, उनमें सफर करने वाले पैसेंजर्स की सोच थर्ड क्लास तक पहुंच चुकी है। हालत यह है कि सिर्फ एनई रेलवे की वह ट्रेंस, जिनके टॉवेल, बेडरोल और दूसरी चीजें मैकेनाइज्ड लांड्री में धुली जाती हैं, वहां चोरी के आंकड़े बढ़ने लग हैं। इसमें सबसे ज्यादा तादाद बेडशीट की है, तो वहीं दूसरे नंबर पर फेस टॉवेल लोग साथ लेकर चले गए हैं।

छह माह में 12 हजार बेडशीट गायब
एनई रेलवे के आंकड़ों पर नजर डालें तो फरवरी से जुलाई के बीच रेलवे की मैकेनाइज्ड लांड्री से गए सामान की लिस्ट में से काफी कमी आई है। इसमें जहां छह माह में करीब 12 हजार बेडशीट लेकर लोग अपने घर चले गए हैं, तो वहीं साढ़े आठ हजार फेस टॉवेल भी लोगों ने अपने बैग में ही रख ली है। इतना ही नहीं लोगों ने सफर के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली तकिया को भी नहीं छोड़ा है और छह माह में साढ़े 14 सौ तकिया के गायब होने की रिपोर्ट हुई है। वहीं, करीब छह हजार पिलो कवर भी गायब हुए हैं। यह हाल तो एसी थर्ड और सेकेंड का है। एसी फ‌र्स्ट का सफर करने वाले एक्का-दुक्का पैसेंजर्स भी इस कारनामे को अंजाम देने में पीछे नहीं रहे हैं।

दास्तान बयां कर रहे आंकड़े
आइटम फरवरी मार्च अप्रैल मई जून जुलाई

बेडशीट 1532 2177 2070 2093 2017 2076

पिलो 166 173 169 352 336 249

पिलोकवर 760 1014 1195 990 1051 927

फेस टॉवेल 1157 1538 1577 1725 1513 1039

ब्लैंकेट 3 20 1 0 104 129

फ‌र्स्ट एसी में यह सामान गायब

पिलो कवर - 10

पिलो - 1

फेस टॉवेल - 2

बाथ टॉवेल - 3

मारे जाते हैं कोच अटेंडेंट
रेलवे के एसी कोचेज में सफर करने वाले पैसेंजर्स जो कुछ भी सोचकर छोटा-मोटा सामान साथ ले जाते हों, लेकिन इसका खामियाजा कोच अटेंडेंट को भुगतना पड़ता है। रेलवे ने इसके लिए वेंडर नियुक्त किया है, जिसने सभी ट्रेंस में डेली वेजेज के कर्मचारियों की तैनाती की है। इन्हें रोज गिनकर सामान ले जाना पड़ता है और गिनकर ही यह जमा होता है। इसमें से जो भी सामान कम होती है, तो इनकी दिहाड़ी में से उतना पैसा डिडक्ट भी कर लिया जाता है। यानि कि रेलवे के मुसाफिर जो भी सामान साथ ले जा रहे हैं, वह पैसा कहीं न कहीं गरीब कोच अटेंडेंट को भरना पड़ रहा है।